दर्शकों की आंखें नम कर गया नाटक ‘‘कुंडली‘‘
यायावर रंगमंडल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय जितेन्द्र मित्तल स्मृति नाट्य समारोह का दूसरे दिन
लखनऊ। यायावर रंगमंडल की ओर से आयोजित तीन दिवसीय जितेन्द्र मित्तल स्मृति नाट्य समारोह के दूसरे दिन एहसाज़ फाउंडेशन के कलाकारों ने नाटक ‘कुंडली‘ का मंचन किया। बेहद संवेदनशील और भावुक कर देने वाला यह नाटक दर्शकों की आंखों को नम कर दिया। नाटक का लेखन एवं निर्देशन प्रफुल्ल त्रिपाठी का था।
नाटक कुंडली मनोवैज्ञानिक और अतिवाद से जुड़ी समस्याओं तथा उनके दुष्परिणामों को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया। नाटक के मुख्य पात्र ‘‘कुंडली‘‘ उसका भाई साहिल, और दोस्त राहुल तीनों ही अलग-अलग प्रकार की मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, जो उन्हें आपसी टकराव की स्थिति में ला खड़ा करती हैं।
उनकी समस्याएं नाटक के अंत तक आते-आते गंभीर होती जाती हैं, जहां से नाटक यथार्थवादी होते हुए भी अयथार्थ की ओर बढ़ जाता है। कुंडली की एकमात्र दोस्त निसंसला और डॉक्टर डॉक्टर सावंत स्थिति को संभालने की पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन एक समय के बाद परिस्थिति उनके हाथ से भी बाहर हो जाती है। नाटक पात्रों की आंतरिक त्रासदी को उजागर करता है और कुछ हल्के-फुल्के दृश्यों के बावजूद उनके आपसी रिश्तों और आंतरिक संघर्षों को बड़े सामाजिक मुद्दों की ओर संकेत करते हुए प्रस्तुत करता है।
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