7 साल में पहली बार पुलिस ने अपनाया डिफेंसिव मोड
लखनऊ। यूपी में 2017 के बाद से ही माफिया और अपराधियों के एनकाउंटर किए जा रहे योगी सरकार की एनकाउंटर पॉलिसी पर सवाल तो कई बार उठे, लेकिन जो हंगामा 2024 में हुआ, उसने यूपी पुलिस को डिफेंस मोड पर लाकर रख दिया। मंगेश यादव और अनुज के एनकाउंटर में यूपी पुलिस चौतरफा घिरी जाति देखकर एनकाउंटर करने पर पुलिस पर सवाल उठे, एनकाउंटर करने के तरीकों पर भी सवालिया निशान खड़े हुए इस पर डीजीपी खुद सामने आकर अपनी टीम के बचाव में खड़े हुए ऐसे में वो कौन से 2 एनकाउंटर थे, जिसने बीते सात वर्ष में पहली बार यूपी पुलिस को कटघरे में खड़ा किया।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 को योगी सरकार बनी इसके बाद अपराधियों पर यूपी पुलिस काल की तरह टूट पड़ी एक के बाद एक 210 अपराधियों को ढेर किया गया और 12 हजार से भी अधिक अपराधी घायल हुए। एनकाउंटर में मारे गए अपराधियों में विकास दुबे से लेकर डकैत गौरी यादव का नाम भी शामिल रहा इन 7 वर्षों में पुलिस ने खूब वाहवाही लूटी, लेकिन वर्ष 2024 के आखिर माह में हुए दो एनकाउंटर ने यूपी पुलिस को डिफेंसिव मोड पर लाकर खड़ा कर दिया। एनकाउंटर पर उठे सवाल का जवाब देने के लिए डीजीपी को सामने आना पड़ा इतना ही नहीं एनकाउंटर को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी भी करानी पड़ी।
सवालों में घिरी खाकीः 28 अगस्त को सुल्तानपुर में दिनदहाड़े लूट हुई जिसने यूपी की कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया। सुल्तानपुर पुलिस और यूपी एसटीएफ लुटेरों की तलाश में जुटी हुई थी इसी बीच दो अपराधियों की गिरफ्तारी की गयी। पूछताछ हुई और लूट में शामिल अन्य अपराधियों की जानकारी जुटाई जाने लगी 5 सितंबर को सुबह साढ़े तीन बजे जौनपुर के रहने वाले मंगेश यादव का एनकाउंटर हुआ यह एनकाउंटर यूपी एसटीएफ की टीम ने किया जिसका नेतृत्व डिप्टी एसपी डीके शाही कर रहे थे।
बताया गया मंगेश यादव ने ही लूट के लिए बाइक का इंतजाम किया और लूट करने में वह अन्य साथियों के साथ मौजूद था यहां तक तो ठीक था, लेकिन मंगेश यादव के एनकाउंटर के दौरान खींची गई एक तस्वीर और मंगेश यादव के परिजनों के बयान ने इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े कर दिए। मंगेश के परिजनों ने पुलिस की थ्योरी पर सवाल उठाए कि मंगेश के 5 सितंबर को सुल्तानपुर से आने की कहानी झूठी है जबकि पुलिस मंगेश को 2 सितंबर को ही उठा ले गई थी वहीं मंगेश यादव के एनकाउंटर के दौरान खींची गई फोटो में डिप्टी एसपी के चप्पल पहने दिखने पर इस एनकाउंटर की सच्चाई पर ही सवाल उठने लगे थे। विपक्ष और समाजसेवी संगठनों ने मानवाधिकार का हवाला दिया चौतरफा घिर चुकी यूपी पुलिस अब इस मामले में कुछ भी बोलने से बचने लगी थी।
एनकाउंटर पर हो रही किरकिरी के चलते खुद कार्यवाहक डीजीपी प्रशांत कुमार को मोर्चा संभालना पड़ा। प्रशांत कुमार, एडीजी कानून व्यवस्था व एसटीएफ चीफ अमिताभ यश के साथ मीडिया के सामने आये और सुल्तानपुर लूट में मंगेश यादव के शामिल होने के सबूत पेश किए इतना ही नहीं मंगेश को 2 सितंबर को उसके घर से उठाए जाने की बात को भी झुठलाते हुए डीजीपी ने उसी के परिजनों के दूसरे वीडियो पेश किए हालांकि इस दौरान डीजीपी इस बात की सफाई देने में विफल रहे कि एसटीएफ के डिप्टी एसपी डीके शाही एनकाउंटर करने चप्पल में कैसे पहुंच गए? जबकि मंगेश को पकड़ने के लिए टीम पूरी तैयारी से गई थी। डीजीपी के जवाब के बाद भी विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और मंगेश को ओबीसी का बता कर एनकाउंटर को ठाकुर बनाम ओबीसी बना दिया।
अनुज सिंह के एनकाउंटर ने फिर उठाए सवालः वर्ष 2024 सितंबर माह में हुए मंगेश यादव के एनकाउंटर पर यूपी पुलिस पहले से ही बैकफुट पर नजर आ रही थी यहां तक डीजीपी को खुद आगे आकर सफाई देनी पड़ रही थी इसी बीच एक और एनकाउंटर ने फिर से सरकार और यूपी पुलिस की मुस्किले बढ़ा दीं यह एनकाउंटर भी सुल्तानपुर लूट से जुड़ा था, लेकिन इसे ओबीसी बनाम ठाकुर के एजेंडे को खत्म करने की कोशिश से जोड़ कर देखा जाने लगा।
दरअसल, सुल्तानपुर लूट में शामिल एक विशेष जाति के अपराधियों को बिना एनकाउंटर या फिर हॉफ एनकाउंटर कर गिरफ्तार करने और मंगेश यादव को एनकाउंटर में ढेर करने पर विपक्ष सरकार और पुलिस पर जाति देख कर गोली चलाने का आरोप लगाने लगी थी। 13 सितंबर को डीजीपी ने सफाई दी और 10 दिन बाद 23 सितंबर को अनुज सिंह का उन्नाव में एनकाउंटर कर दिया गया इस एनकाउंटर पर भी सवाल उठे, परिजनों ने आरोप लगाया कि अनुज को पुलिस घर से खुद उठा ले गई थी वहीं विपक्ष इसे बैलेंस करने के लिए किया गया एनकाउंटर बता दिया।
डीजीपी ने जारी की एनकाउंटर को लेकर नई गाइडलाइनः मंगेश और अनुज के एनकाउंटर पर घिरी यूपी पुलिस के मुखिया को बीते सात वर्षों में पहली बार एनकाउंटर को लेकर गाइडलाइन सभी पुलिस अफसरों को याद दिलानी पड़ी। डीजीपी ने एनकाउंटर में अपराधी के मारे जाने या घायल होने की स्थिति में वीडियोग्राफी करने को जरूरी बताया है इसके अलावा मारे गए अपराधी की पैनल पोस्टमार्टम करने के लिए निर्देश दिए। एनकाउंटर हुए स्थान में फॉरेन्सिक टीम को निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए एनकाउंटर की जांच उस थाने की नहीं बल्कि अन्य थाने या क्राइम ब्रांच की टीम से करवाने के डीजीपी ने निर्देश दिए गए।
अब पढ़िए यूपी के चर्चित एनकाउंटर
विकास दुबेः विकास दुबे का एनकाउंटर उत्तर प्रदेश का सबसे अधिक चर्चित एनकाउंटर रहा है। 3 जुलाई 2020 को कानपुर पुलिस बिकरू में विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई थी इस दौरान उसने अपने गुर्गों के साथ फायरिंग की, जिसमें सीओ समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे उज्जैन में विकास दुबे को गिरफ्तार किया गया। 10 जुलाई को यूपी एसटीएफ उसे कानपुर लेकर आ रही थी इस दौरान पुलिस की गाड़ी पलट गई इस दौरान विकास ने भागने की कोशिश की तभी वह एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया।
डकैत गौरी यादवः चंबल में 20 वर्षों तक आतंक का पर्याय रहे गौरी यादव को 30 अक्टूबर 2021 को एसटीएफ की टीम की चित्रकूट के जंगलों में एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
कमलः संभल में जुलाई 2019 में पेशी पर आए तीन अपराधियों को छुड़ाने के लिए पुलिस टीम पर हमला किया गया जिसमें 2 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे इन अपराधियों में एक कमल को पुलिस ने मुठभेड़ में गिरफ्तार किया।
शिवशक्ति नायडूः 11 जिलों का मोस्टवांटेड शक्ति नायडू देहरादून से गाड़ी चोरी कर भाग रहा था मेरठ जिले में पुलिस ने धर लिया इस दौरान हुई मुठभेड़ में शक्ति नायडू ढेर कर दिया गया।
मनीष सिंहः वाराणसी समेत पूर्वांचल के कई जिलों में आतंक का पर्याय बन चुके मनीष सिंह को वर्ष 2021 में पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर किया था।
मंसूर पहलवानः डकैती, लूट और हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम दे चुका मंसूर पहलवान पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था। यूपी में योगी सरकार बनी तो सबसे पहला एनकाउंटर मंसूर का ही हुआ जिसमे उसे ढेर कर दिया गया।
असद अहमदः माफिया अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर भी काफी चर्चा में रहा। प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड में असद फरार था जिसकी तलाश यूपी एसटीएफ जोरों से कर रही थी 13 अप्रैल 2023 को झांसी में स्पेशल टास्क फोर्स ने असद को शूटर गुलाम के साथ एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।
मंगेश यादव और अनुज सिंहः यूपी के सुल्तानपुर में हुई साढ़े तीन करोड़ की डकैती के आरोपी मंगेश यादव को एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया था जबकि एक अन्य आरोपी अनुज सिंह को उन्नाव पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर किया था।
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