
ISRO चेयरमैन ने गगनयान की टाइमलाइन का किया खुलासा
बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक खास मिशन पर काम कर रहा है, जिसका इंतजार हर एक भारतीय नागरिक को है इस मिशन का नाम गगनयान है। भारत की स्पेस एजेंसी इसरो के मिशन गगनयान के जरिए पहली बार कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में जाएंगे इस मिशन की शुरुआत 2027 में होगी। हालांकि, पहले इस मिशन को 2022 में शुरू होना था, लेकिन कुछ अड़चनों के कारण इसमें लगातार देरी होती गई और अब इसे 2027 में लॉन्च करने की प्लानिंग की गई है इसके बारे में बात करते हुए इसरो चीफ वी नारायणन ने कई चीजों का खुलासा किया है और कई प्रश्नों के विस्तार में उत्तर दिए हैं।
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दरअसल, कुछ महीने पहले ही इसरो चीफ की जिम्मेदारी संभालने वाले वी नारायणन ने सुरभी गुप्ता को इंटरव्यू देते हुए बताया, "हम गगनयान को 2027 के पहले तीन महीनों में लॉन्च करेंगे" उन्होंने इस मिशन की जटिलता को विस्तार में समझाते हुए कहा कि जब कोई बच्चा अपनी क्लास में 100 से 100 नंबर लाना चाहता है तो वो बहुत मेहनत करता है उसी तरह से इसरो भी पूरी कोशिश करता है ताकि मिशन समय पर हो, लेकिन अंतरिक्ष के मिशन्स काफी मुश्किल होते हैं और रास्ते में बहुत सारी प्रॉब्लम्स आती हैं उन समस्याओं को हल करने के लिए मिशन को और सुरक्षित बनाया जाता है।
नारायणन ने कहा, स्पेस मिशन में पहले से कुछ भी फिक्स नहीं होता है हम दुनिया की सबसे मुश्किल टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं इस मिशन के लिए सभी जरूरी चीजों को हमने खुद से बनाया है, जो बहुत बड़ी बात है। साइंस और टेक्नोलॉजी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि इसरो इस मिशन को काफी कम खर्च में पूरा कर रहा है दूसरे देशों की तुलना में इसरो ने गगनयान मिशन पर काफी कम खर्चा किया है।
इस मिशन में LVM3 रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा इसके साथ एक क्रू मॉड्यूल होगा, जिसमें अंतरिक्ष यात्री रहेंगे, दूसरा सर्विस मॉड्यूल होगा, जो मिशन को सपोर्ट करेगा और तीसरा क्रू एस्केप सिस्टम होगा, जो इमरजेंसी सिचुएशन में अंतरिक्ष यात्री को बचाने का काम करेगा। इसरो ने इन सभी मॉड्यूल को तैयार किया है, ताकि गगनयान मिशन को पूरी तरह से सफल किया जा सके और अब इन सभी चीजों की टेस्टिंग लास्ट स्टेज में है इस मिशन के पूरा होने के बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा जो अपने दम पर इंसानों को अंतरिक्ष में भेज सकता है यह भारत के लिए काफी गर्व की बात होगी है।
भारतीय एस्ट्रोनॉट्स और उनकी ट्रेनिंग
गगनयान मिशन पर जाने के चार काफी खास एस्ट्रोनॉट्स यानी अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है, जिन्हें गगनयात्री भी कहा जाता है। इन चारों के नाम - ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजित कृष्णन, अंगद प्रताप, और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला है ये चारों भारतीय वायुसेना के शानदार फाइटर पायलट हैं इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों ने गगनयान की यात्रा करने के लिए भारत और रूस में काफी कठिन ट्रेनिंग ली है इन सभी की सेहत, साइकोलॉजिकल फिटनेस और काम करने की तैयारियों को बार-बार चेक किया जाता है, ताकि वो अंतरिक्ष में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो।
इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों में से सबसे ज्यादा चर्चा शुभांशु शुक्ला की हो रही है शुभांशु जून 2025 में अंतरिक्ष में मौजूद इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन (ISS) पर जाने वाले हैं वह आईएसएस पर विमान ले जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में एक सवाल जरूर आता है कि अंतरिक्ष में जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में क्या खाना खाते हैं इस सवाल का जवाब देते हुए इसरो के अधिकारी डी के सिंह ने बताया कि शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में क्या खाएंगे उन्होंने बताया, "शुभांशु अंतरिक्ष में भारतीय खाना खाएंगे, जैसे मूंग दाल हलवा, भारतीय चावल और आम का रस. उनके पास भारतीय और विदेशी खाने के कई विकल्प होंगे, जिन्हें नासा ने मंजूरी दी है।" आपको बता दें कि पिछले साल नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर फिश करी खाई थी उससे पहले उन्होंने समोसा भी खाया था, जिसे वो अपने साथ लेकर गई थीं।
इसके बारे में बात करते हुए इसरो चीफ ने बताया, एस्ट्रोनॉट्स के लिए कुछ खास नियम होते हैं उनके खाने को बहुत ध्यान से चुना जाता है ताकि उन्हें सही मात्रा में एनर्जी मिल सके यह खाना डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के साथ मिलकर बनाया गया है, ताकि यह अंतरिक्ष यात्रा के लिए पूरी तरह सुरक्षित और सही हो।"
डी के सिंह ने कहा, हमने गगनयान अंतरिक्ष यात्रियों के लिए कई तरह के खाने तैयार किए हैं यह खाना पौष्टिक, बनाने में आसान और अंतरिक्ष के लिए सुरक्षित होता है हमने डीआरडीओ के साथ मिलकर सुनिश्चित किया है कि हमारे अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भी घर जैसा खाना मिल सके और उन्हें अंतरिक्ष में स्वस्थ रहने के लिए जरूरी ताकत मिल सके।
शुभांशु शुक्ला और उनका अंतरिक्ष मिशन
हमारे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Axiom Mission 4 नाम के एक खास मिशन में हिस्सा लेने जा रहे हैं इसके लिए वो SpaceX के क्रू ड्रैगन कैप्सूल में सवार होंगे, जो फाल्कन 9 रॉकेट के साथ उड़ेगा।यह मिशन नासा (अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी) और इसरो (भारत की अंतरिक्ष एजेंसी) मिलकर कर रहे हैं इस मिशन को पहले 29 मई 2025 को शुरू होना था, लेकिन अब इसे जून 2025 में लॉन्च किया जाएगा।
इसके बारे में इसरो चीफ वी नारायणन ने जानकारी दी कि यह मिशन अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित कैनेडी स्पेस सेंटर से शुरू होगा इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये की लागत लगी है। शुभांशु के साथ इस मिशन पर पैगी व्हिटसन (मिशन कमांडर और नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री), स्लावोश उज्नान्स्की-विस्निव्स्की (पोलैंड से), और टिबोर कपु (हंगरी से) भी होंगे।
शुभांशु और उनकी टीम इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर जाएंगे और वहां 14 दिन तक रहेंगे इस दौरान एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में कई साइंटिफिक एक्सपेरीमेंट करेंगे, जो गगनयान मिशन को सफल बनाने में काफी मददगार साबित होंगे इससे बारे में बात करते हुए वी. नारायरण ने बताया, यह मिशन शुभांशु को ISS पर 14 दिन तक काम करने का मौका देगा। वे जीव विज्ञान और अन्य वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जो गगनयान मिशन के लिए बहुत कुछ सिखाएंगे।" उन्होंने आगे कहा कि यह नासा और इसरो का जॉइंट मिशन है, जिसे 29 मई को लॉन्च किया जाना तय किया गया था, लेकिन अब इसमें एक हफ्ते की देरी हुई है और इसे जून के पहले हफ्ते में लॉन्च किया जा सकता है।
गगनयान मिशन: मुश्किल लेकिन रोमांचक रास्ता
गगनयान मिशन में इसरो अपने एस्ट्रोनॉट्स को एक खास रॉकेट के साथ अंतरिक्ष में भेजेगा, जिसका नाम ह्यूमन लॉन्च व्हीकल मार्क-III (HLVM3) है। HLVM3 एस्ट्रोनॉट्स को लो अर्थ ऑर्बिट में लेकर जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर है वहां वो कुछ दिन रहेंगे फिर एक खास कैप्सूल के जरिए समुद्र में सुरक्षित रूप से लैंड करेंगे।
गगनयान मिशन से पहले इसरो तीन टेस्ट करने वाला है इनमें से दो टेस्ट बिना इंसानों के होंगे और एक टेस्ट में व्योममित्र नाम का रोबोट होगा, जो सिस्टम को चेक करेगा. पहला टेस्ट 2025 के आखिरी महीनों में होगा और बाकी के दो टेस्ट 2026 में होंगे इसके बारे में बात करते हुए इसरो चीफ ने बताया, "हमारे मिशन के नाम हैं G1, G2, और G3 है, जो इंसानों के बिना होंगे इनके बाद H1 और H2 मिशन होंगे, जिसमें हमारे अंतरिक्ष यात्री जाएंगे। पहला टेस्ट 2025 के अंत में होगा।"
गगनयान मिशन का महत्व
गगनयान मिशन भारत के लिए काफी खास है, क्योंकि यह सिर्फ भारत की ओर से पहली बार अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स को भेजने की बात नहीं है, बल्कि यह मिशन भविष्य में भारत के कई बड़े स्पेस ड्रीम्स को पूरा करेगा इसके बारे में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया, "गगनयान मिशन हमारे अंतरिक्ष योजनाओं का एक हिस्सा है हम 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन बनाना चाहते हैं और 2040 तक पहला भारतीय चांद पर भेजना चाहते हैं।"
गगनयान मिशन की चुनौतियां
इसरो के इस खास गगनयान मिशन को लेकर पूरे देश में काफी उत्साह है, लेकिन इस मिशन को पूरा करने में कुछ मुश्किलें भी हैं। रॉकेट, क्रू एस्केप सिस्टम (जो अंतरिक्ष यात्रियों को बचाएगा), और दूसरी जरूरी चीजों को बहुत सावधानी से टेस्ट करना है। नारायणन ने कहा, इंसानों को अंतरिक्ष में भेजना बहुत मुश्किल और जोखिम भरा काम है हमारी टीम दिन-रात काम कर रही है ताकि हर चीज बिल्कुल सही हो।"
गगनयान मिशन में क्रू एस्केप सिस्टम का बिल्कुल सटीक होना काफी जरूरी है अगर लॉन्च के दौरान या अंतरिक्ष में कोई समस्या होती है, तो यह सिस्टम अंतरिक्ष से एस्ट्रोनॉट्स को पृथ्वी पर वापस लेकर आएगा हालांकि, इस सिस्टम का टेस्ट अब अपने आखिरी स्टेज में है।
इसरो चीफ ने रॉकेट के बारे में बताया, "रॉकेट के इंजन को इंसानों के लिए तैयार करने का 95% काम पूरा हो गया है इसके अलावा एस्ट्रोनॉट्स के लिए सांस लेने और सुरक्षित रहने के सिस्टम का 90% काम भी पूरा हो चुका है।" एस्केप मॉड्यूल भी अब तैयार होने वाला है, जो इमरजेंसी में अंतरिक्ष यात्रियों की जान बचाएगा।
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