
हनुमान जयंती 2025: इन 12 नामो से करें बजरंगबली की पूजा
पूरे देश में आज शनिवार 12 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जा रही है हिंदू धर्म में बजरंगबली ही ऐसे देवता हैं जो कलयुग में अजर और अमर हैं। पवनसुत को शक्ति, भक्ति और सेवा के लिए जाना जाता है आज के दिन हर जातक विधि-विधान से भक्त शिरोमणि श्री राम की पूजा-आरधना करता है ऐसी मान्यता है कि इनकी पूजा करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है इस बार हनुमान जयंती का पावन पर्व शनिवार 12 अप्रैल को मनाया जा रहा है उन्होंने कहा कि शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी उन्होंने कहा कि हनुमानजी की पूजा में इनके नामों का विशेष महत्व है। आइये जानते हैं बजरंगबली के 12 नामों की महिमा...
हनुमान: हनुमानजी का यह नाम इसलिए पड़ा क्योकि एक बार क्रोधित होकर देवराज इंद्र ने इनके ऊपर वज्र का प्रहार किया था यह वज्र सीधे इनकी ठोड़ी (हनु) पर लगा हनु पर वज्र का प्रहार होने से ही इनका नाम हनुमान पड़ा।
लक्ष्मणप्राणदाता: जब रावण के पुत्र इंद्रजीत ने शक्ति का उपयोग कर लक्ष्मण को बेहोश कर दिया था, तब हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर आए थे उसी बूटी के प्रभाव से लक्ष्मण को होश आया था इसलिए हनुमानजी को लक्ष्मणप्राणदाता भी कहा जाता है।
दशग्रीवदर्पहा: दशग्रीव यानी रावण और दर्पहा यानी धमंड तोड़ने वाला। हनुमानजी ने लंका जाकर सीता माता का पता लगाया, रावण के पुत्र अक्षयकुमार का वध किया साथ ही लंका में आग भी लगा दी इस प्रकार हनुमानजी ने कई बार रावण का धमंड तोड़ा था इसलिए इनका एक नाम ये भी प्रसिद्ध है।
रामेष्ट: हनुमान भगवान श्रीराम के परम भक्त हैं धर्म ग्रंथों में अनेक स्थानों पर वर्णन मिलता है कि श्रीराम ने हनुमान को अपना प्रिय माना है भगवान श्रीराम को प्रिय होने के कारण ही इनका एक नाम रामेष्ट भी है।
फाल्गुनसुख: महाभारत के अनुसार, पांडु पुत्र अर्जुन का एक नाम फाल्गुन भी है युद्ध के समय हनुमानजी अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजित थे इस प्रकार उन्होंने अर्जुन की सहायता की सहायता करने के कारण ही उन्हें अर्जुन का मित्र कहा गया है फाल्गुन सुख का अर्थ है अर्जुन का मित्र।
पिंगाक्ष: पिंगाक्ष का अर्थ है भूरी आंखों वाला। अनेक धर्म ग्रंथों में हनुमानजी का वर्णन किया गया है उसमें हनुमानजी को भूरी आंखों वाला बताया है इसलिए इनका एक नाम पिंगाक्ष भी है।
अमितविक्रम: विक्रम का अर्थ है पराक्रमी और अमित का अर्थ है बहुत अधिक। हनुमानजी ने अपने पराक्रम के बल पर ऐसे बहुत से कार्य किए, जिन्हें करना देवताओं के लिए भी कठिन था इसलिए इन्हें अमितविक्रम भी कहा जाता है।
उदधिक्रमण: उदधिक्रमण का अर्थ है समुद्र का अतिक्रमण करने वाले यानी लांधने वाला। सीता माता की खोज करते समय हनुमानजी ने समुद्र को लांधा था इसलिए इनका एक नाम ये भी है।
अंजनीसुत: माता अंजनी के पुत्र होने के कारण ही हनुमानजी का एक नाम अंजनीसुत भी प्रसिद्ध है।
वायुपुत्र: हनुमानजी का एक नाम वायुपुत्र भी है पवनदेव के पुत्र होने के कारण ही इन्हें वायुपुत्र भी कहा जाता है।
महाबल: हनुमानजी के बल की कोई सीमा नहीं हैं इसलिए इनका एक नाम महाबल भी है।
सीताशोकविनाशन: माता सीता के शोक का निवारण करने के कारण हनुमानजी का ये नाम पड़ा।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).