
राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी का 47वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ
* राज्यपाल ने जनपद चंदौली के आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाने हेतु 300 आंगनबाड़ी किटों का वितरण किया
* राज्यपाल ने कर्तव्य, नैतिकता, जिम्मेदारी और सुरक्षा, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छता, अनुसंधान, महिला सशक्तिकरण और जीवन प्रबंधन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को स्पष्ट और प्रेरक ढंग से विद्यार्थियों के समक्ष रखा
* शिक्षा जीवन में परिवर्तन लाने का माध्यम है, डिग्री पाने का साधन नहीं
* स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूक होना अनिवार्य, बिना जागरूकता के विकसित भारत का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता, पर्यावरण को हमने स्वयं बिगाड़ा है, इसे सुधारने की जिम्मेदारी भी हमें ही लेनी होगी
* प्राकृतिक आपदाओं से बचाव और जनहानि को कम करने के लिए अनुसंधान और शोध कार्य करना आवश्यक
* विद्यार्थियों की कक्षाओं में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य, 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी
* विश्वविद्यालय प्रशासन थर्ड जेंडर की शिक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहा है -राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल
दया शंकर चौधरी।
लखनऊ। प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी का 47वां दीक्षांत समारोह संपन्न हुआ इस अवसर पर कुलाधिपति जी ने 55,642 विद्यार्थियों को स्नातक की उपाधियाँ प्रदान कीं, जिनमें 34,252 छात्राएँ तथा 21,387 छात्र सम्मिलित हैं। इसी प्रकार 15,321 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें 11,484 छात्राएँ एवं 3,837 छात्र हैं। दीक्षांत समारोह में 178 शोधार्थियों को पी.एच.डी. की उपाधियाँ तथा 101 मेधावी विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इनमें 74 छात्राएँ एवं 27 छात्र शामिल हैं। कुलाधिपति जी ने सभी अंक पत्रों एवं उपाधियों को डिजिलॉकर में समाहित किया और कहा कि यह कदम शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस अवसर पर राज्यपाल जी ने जनपद चंदौली के आंगनबाड़ी केन्द्रों को सशक्त बनाने हेतु 300 आंगनबाड़ी किटों का वितरण भी किया। दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल जी ने सभी विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम और उनके मूल्यों पर स्थापित है, इसका यह 47वां दीक्षांत समारोह हमारे लिए अत्यंत गौरव का अवसर है। राज्यपाल जी ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं होना चाहिए, बल्कि कर्तव्यबोध और राष्ट्रबोध को सर्वोपरि रखना आवश्यक है। शिक्षा जीवन में परिवर्तन लाने का माध्यम है, डिग्री पाने का साधन नहीं। विद्यार्थियों को अपने छात्रावास और विश्वविद्यालय के प्रति कर्तव्य का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूक होना अनिवार्य है, क्योंकि बिना जागरूकता के विकसित भारत का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता। पर्यावरण को हमने स्वयं बिगाड़ा है, और इसे सुधारने की जिम्मेदारी भी हमें ही लेनी होगी। राज्यपाल जी ने प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इनसे बचाव और जनहानि को कम करने के लिए अनुसंधान और शोध कार्य करना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने जैविक कृषि अपनाने पर जोर दिया, ताकि हमारा पर्यावरण संरक्षित रह सके और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलन बना रहे। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि कर्तव्यनिष्ठ होना जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य होना चाहिए। जो कुछ भी उन्होंने सीखा है, उसका सदुपयोग करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि विद्यार्थियों की कक्षाओं में 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है, और 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि समय पर परीक्षा और समय पर परिणाम सुनिश्चित करना सभी के लिए आवश्यक है। राज्यपाल जी ने कहा कि प्रबंधन सीखना और सिखाना, साथ ही अपने कार्यों का विश्लेषण करना भी अनिवार्य है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि पढ़ाई को प्राथमिकता दें और अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहें। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की सराहना करते हुए राज्यपाल जी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन थर्ड जेंडर की शिक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आने वाले दिनों में काशी विद्यापीठ का ताइवान के साथ एमओयू होने वाला है। उन्होंने निर्देश दिया कि सप्ताह में कम से कम एक घंटा सफाई का संकल्प लें, ताकि स्वच्छता की आदत समाज में फैल सके।
राज्यपाल जी ने लड़कियों और महिलाओं पर हो रही हिंसा एवं अत्याचार पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बेटियों को अपने निर्णय सोच-समझकर लेने चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि बेटियाँ लिव-इन-रिलेशनशिप जैसी परिस्थितियों से दूर रहें और समाज में ऐसे तत्वों से सतर्क रहें जो उनका शोषण कर सकते हैं। राज्यपाल जी ने कर्तव्य, नैतिकता, जिम्मेदारी और सुरक्षा, शिक्षा, पर्यावरण, स्वच्छता, अनुसंधान, महिला सशक्तिकरण और जीवन प्रबंधन के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं को स्पष्ट और प्रेरक ढंग से विद्यार्थियों के समक्ष रखा। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए ग्रामों के बच्चों ने उद्बोधन दिया एवं पर्यावरण गीत की प्रस्तुति की, जिनको राज्यपाल जी ने प्रशंसा स्वरूप उपहार प्रदान किए। राज्यपाल जी ने भारत रत्न डॉ. भगवान दास जी की प्रतिमा का ऑनलाइन अनावरण किया तथा दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में प्रकाशित स्मारिका एवं पुस्तक विद्यापीठ के संस्थापक राष्ट्र रत्न शिव प्रसाद गुप्त की सचित्र जीवनी ‘झांकी’ का विमोचन किया। राज्यपाल जी ने विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए विद्यालयों में आयोजित प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त विद्यार्थियों को पुरस्कार प्रदान किए तथा जिलाधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी को राजभवन की पुस्तकें एवं प्राथमिक विद्यालयों के अध्यापकों को स्कूल के पुस्तकालय हेतु राजभवन की ओर से पुस्तकें भेंट कीं। पद्मश्री डॉ. सरोज चूड़ामणि गोपाल ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ का इतिहास गौरवशाली रहा है। यह विश्वविद्यालय महापुरुषों की विरासत है, और इस विश्वविद्यालय से कई महान विद्यार्थियों ने शिक्षा ग्रहण कर देश और समाज में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने काशी विद्यापीठ को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि टीम वर्क से ही कोई संस्था आगे बढ़ती है और गुरु तभी सफल होता है जब विद्यार्थी अच्छे आचरण और संस्कार के साथ शिक्षा ग्रहण करें। उन्होंने कहा कि युवा शक्ति दिव्य होती है और वह कुछ भी कर सकती है। अच्छे संस्कारों के साथ कार्य करना आवश्यक है। यदि हम सभी मिलकर कार्य करेंगे तो 2047 तक हम विकसित राष्ट्र ही नहीं, बल्कि दुनिया के सिरमौर भी बनेंगे। हम विज्ञान में प्रगति कर रहे हैं, लेकिन साथ ही अपनी मातृभूमि और संस्कृति को याद रखना भी अनिवार्य है। केवल कमाना पर्याप्त नहीं है, दान और समाज सेवा के बिना जीवन अधूरा है। अच्छे चरित्र और संस्कार ही देश के विकास में योगदान देंगे। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वस्थ शरीर के साथ-साथ स्वस्थ मन भी होना आवश्यक है। उच्च शिक्षा मंत्री श्री योगेन्द्र उपाध्याय उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि काशी मुक्त और प्राचीन नगरी है। आप अपनी शिक्षा के आदर्श पर आगे बढ़ें और आध्यात्मिक नगरी की गरिमा को बनाए रखें। आपकी डिग्री प्राप्ति में देश, सरकार और समाज का योगदान है। महामहिम राज्यपाल जी के मार्गदर्शन में राज्य विश्वविद्यालय नैक में लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश और काशी की सूरत और सिरत बदल दी है और कर प्रणाली से कल्याण सुनिश्चित हुआ है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि उभरता भारत, विकसित भारत और आत्मनिर्भर भारत में अपने योगदान से सहयोग करें। राज्य मंत्री उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश सरकार श्रीमती रजनी तिवारी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आपकी उपाधि राष्ट्र के विकास में सहयोग करने का साधन है। दीक्षांत समारोह शिक्षा का अंत नहीं बल्कि एक नया पड़ाव है, जिससे विद्यार्थियों को अपने लक्ष्य की दिशा में और अधिक मेहनत करनी होगी। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि उनका सामर्थ्य केवल घर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की दिशा और दशा निर्धारित करने में योगदान देगा। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाएँ। समारोह में कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को कुलाधिपति जी के समक्ष प्रस्तुत किया।
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद, विद्या परिषद एवं कोर्ट के सदस्यगण, समस्त संकायाध्यक्ष, शिक्षकगण, कर्मचारीगण, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां, विद्यार्थी, स्कूली बच्चे, आमंत्रित अतिथिगण, जिला प्रशासन के अधिकारीगण सहित अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।
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