बैंक का लॉकर तोड़कर चोरी करने वाले तीन बदमाश पुलिस मुठभेड़ में गिरफ्तार, चार फरार
तीन बदमाश गिरफ्तार, चार बदमाश हुए फरार, एक के पैर में लगी गोली
लखनऊ। चिनहट स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक का लॉकर तोड़कर करोड़ों की चोरी को अंजाम देने वाले बदमाशों की सोमवार सुबह चिनहट के जलसेतु इलाके में पुलिस से मुठभेड़ हो गई जिसमें एक बदमाश पैर में गोली लगने से घायल हो गया। दो बदमाशों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। जबकि चार अभी भी फरार हैं।
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह के मुताबिक शनिवार रात हुई ओवरसीज बैंक में चोरी करने वालों की तलाश में लौलाई के जल सेतु के पास चिनहट पुलिस वाहन चेकिंग कर रही थी तभी वहां से निकल रही दो कारें संदिग्ध लगने पर पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया गया। इस पर कार सवार एक युवक ने पुलिस पर तमंचे से फायरिंग कर दी और खेतों की ओर भागने लगा जबकि अन्य आरोपी भाग निकले। पुलिस की जवाबी फायरिंग में मुठभेड़ के दौरान अरविंद कुमार (22) पुत्र चौधरी सिंह निवासी ग्राम सिटकुंडी, पोस्ट- दरियापुर, थाना मोफसिल, जिला मुंगेर को पैर में गोली लगी है। इसके अलावा बलराम कुमार (28) पुत्र बिंदेश्वरी बिंद निवासी ग्राम-पिलदौरी, थाना-सुलतानगंज, जिला-भागलपुर, बिहार और कैलाश बिंद (28) पुत्र पुनीत बिंद निवासी ग्राम-बउअरी, पोस्ट- खेराडोरा, थाना- हवेली सड़कपुर, जिला-मुंगेर, बिहार को गिरफ्तार किया गया है। तीनों आरोपी बिहार के हैं। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से चोरी के 3 लाख रुपए नगद, 1 किलो 889 ग्राम सोना, 1 किलो 240 ग्राम चांदी, अवैध तमंचा, कारतूस, एक कार व लॉकर काटने वाला औजार बरामद किया है। पूछताछ में बदमाशों ने बताया कि कुल 7 लोगों ने मिलकर घटना को अंजाम दिया था। सभी बिहार के अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं।
चोरों ने काट दिया था अलार्म सिस्टम का तार
पुलिस का कहना है कि चोरों ने बैंक में लगे अलार्म सिस्टम का तार काट दिया था। इसी वजह से अलार्म बजा नहीं। सवाल यह भी है कि कहीं अलार्म पहले से खराब तो नहीं था। जानकारों के अनुसार आमतौर पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ होने पर अलार्म सिस्टम खुद एक्टिव हो जाता है। ऐसे में तार काटते वक्त भी अलार्म बजना चाहिए था। बैंक की खराब सुरक्षा व्यवस्था का फायदा चोरों ने उठाया और बड़ी आराम से वारदात को अंजाम देकर भाग निकले। पुलिस घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की 50 फुटेज मिली है।
90 मिनट तक बैंक को खंगालते रहे बदमाश
सातों बदमाश शनिवार रात बैंक की दीवार में सेंध मारकर अंदर घुसे और करीब 90 मिनट तक बैंक में रहे। इस दौरान बदमाशों ने 42 लॉकर तोड़ डाले। इनमें रखी करोड़ों की ज्वेलरी लेकर फरार हो गए। चार बदमाश सीसीटीवी में दिखाई दिए थे। एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और पुलिस टीम ने सीसीटीवी में कैद बदमाशों की तलाश के लिए देर रात कई जगह दबिश दी। शहीद पथ और आसपास लगे करीब 500 कैमरों को खंगाला। इसमें चार संदिग्ध बाइक पर आते-जाते दिखे। पुलिस का कहना है कि चोरों के अन्य साथी दूसरी गाड़ी में थे। चारों का हुलिया बैंक के सीसीटीवी में कैद बदमाशों से मिलता-जुलता दिखा।
चार आरोपी अभी भी फरार
पुलिस ने बताया कि आरोपी मिथुन कुमार पुत्र लुसरु बिंद निवासी ग्राम-जानकीडीह, थाना-टेटराहर, जिला- लखीसराय बिहार, सोबिंद कुमार पुत्र रामानंद बिंद निवासी पुरुषोत्तमपुर, चारगांव, थाना-असरगंज, बिहार, सन्नी दयाल पुत्र स्व.नंदलाल बिंद, निवासी अमालिया, थाना-अमरगंज, जिला-मुंगेर बिहार और विपिन कुमार वर्मा अभी फरार हैं। जिनकी तलाश की जा रही है।
बैंक खुलते ही लोगों का लगा जमावड़ा
दूसरे दिन सोमवार को बैंक खुलते ही सुबह 9.30 बजे से ही लोग अपने अपने लॉकर देखने पहुंचने लगे। बैंक के अधिकारी व कर्मचारी ग्राहकों को समझाने का प्रयास कर रहे थे लेकिन लॉकर धारक कुछ सुनने को तैयार नहीं थे। बैंक ने सोमवार को सुरक्षा की दृष्टि से दो बंदूकधारी गार्ड भी तैनात करवा रखे थे। जैसे ही बैंक खुलता है, वैसे ही एक साथ कई ग्राहक बैंक में प्रवेश करने लगते हैं। गार्ड ने ग्राहकों को रोकने की कोशिश करता है लेकिन आक्रोशित लोगों के आगे उसकी एक नहीं चलती है। बैंक प्रशासन ने इन्हें लॉकर सुबह 11 बजे से दिखाने शुरू किए। तब तक ग्राहक बैंक में ही बैठे रहे और अपने लॉकर की सुरक्षित होने की प्रार्थना करते रहे।
बैंक ने नहीं दी लॉकर टूटने की सूचना
बैंक पहुंचे ग्राहकों को कहना था कि बैंक की तरफ से लॉकर तोड़कर चोरी की सूचना उन्हें नहीं दी गई। सुबह जब अखबार में बैंक चोरी की खबर पढी तो लोगों के होश उड़ गए। लोग आनन-फानन तुरंत बैंक पहुंचे और अपने अपने लॉकरों के बारे में पूछताछ करने लगे। कुछ अपने साथ अपनी पुरानी डायरी लेकर आए थे, जिनमें लॉकर में रखे सामानों की सूची थी। इनमें से किसी भी लॉकर धारक को बैंक ने लॉकर टूटने की सूचना नहीं दी। इसको लेकर सबसे ज्यादा लोगों में नाराजगी रही। ग्राहकों का तर्क था कि उन्हें अखबारों के माध्यम से लॉकर टूटने का पता चला।
सुरक्षा को लेकर लोगों में आक्रोश
बैंक में चोरी की सूचना पर रविवार से लॉकर मालिकों का पहुंचना शुरू हो गया था। बैंक का मुख्य गेट अंदर से बंद था। किसी को अंदर आने-जाने नहीं दिया जा रहा था। इस पर लोग थोड़ा आक्रोशित थे। लोगों ने बैंक के खिलाफ नारेबाजी की। एक गार्ड को धक्के मारकर भगा दिया।
चोरी के डर से लॉकर में रखे थे गहने
मौके पर मौजूद सुनील जायसवाल ने बताया कि 2010 में पत्नी कुसुम के नाम से बैंक में लॉकर लिया था। जारी जमापूंजी लॉकर में ही रखी थी।
-वहीं बैंक के पास ही रहने वाले गोपाल कृष्ण गुप्ता ने बताया भतीजी नेहा का बैंक में लॉकर है। निजी स्कूल में पढ़ाने वाली भतीजी ने पाई-पाई जोड़कर जेवर बनवाए थे। चोरी के डर से घर की जगह बैंक के लॉकर में रखे थे।
- इसी प्रकार बीबीडी क्षेत्र की रहने वाली बुटिक संचालक पूनम जायसवाल ने कुछ साल पहले 38 नंबर लॉकर किराए पर लिया था। पूनम जायसवाल ने बताया कि परिचित से चोरी का पता चला। इसके बाद पति के साथ बैंक पहुंचीं। हालांकि कोई बताने को तैयार नहीं था कि लॉकर सुरक्षित है या नहीं। प्रार्थना कर रही थीं, कि लॉकर सेफ हो। एसीपी विभूति खंड राधा रमण ने जैसे ही बताया कि उनका भी लॉकर टूटा है, वह बदहवास हो गई। पति ने ढांढ़स बंधाया। पूनम का कहना है कि 22 नवंबर को भतीजी की शादी थी, तभी लॉकर खोले थे। उसमें लाखों के जेवर रखे थे।
-गहमरकुंज कालोनी में रहने वाले कारोबारी शिवम जायसवाल ने 14 साल पहले मां कुसुम के नाम पर लॉकर लिया था। उनका लॉकर सुरक्षित निकला जिसपर उन्होंने राहत की सांस ली और भगवान का शुक्रिया किया।
-बैंक के पास रहने वाली टीचर नेहा कपूर ने बताया कि लॉकर में पांच से छह लाख के जेवर थे।
-एचएएल से सेवानिवृत्त कुलदीप राज ने बताया कि चोरी के डर से लोग अपनी कमाई लॉकर में रखते हैं। मैंने भी जीवन भर जो कमाया था, वह सब लॉकर में था, अब बुढ़ापा कैसे काटेगा, ईश्वर जाने।
-पेशे से अधिवक्ता अरविंद कुमार कुशवाहा ने बताया कि पत्नी उषा के नाम लॉकर है। बैंक ने मानक का कोई ध्यान नहीं दिया। हमारे लॉकर में करीब 400 ग्राम सोने के जेवर, जरूरी कागज रखे थे, जो गायब हैं।
-पेशे से इंजीनियर एम खान ने भी पत्नी के नाम से लॉकर लिया था। दस्तावेज सहित अन्य सामान लॉकर में ही रखा था। चोरी होने की जानकारी से सभी लॉकर धारक सदमे में है। सभी जानने का प्रयास करते रहे कि उनका लॉकर सुरक्षित है या नहीं।
-मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि हमने अपने पैतृक गहने लॉकर में रखे थे, वह सभी गायब हैं। बैंक वाले भी कोई डिटेल नहीं दे रहे हैं।
- वहीं, रहमानपुर के रहने वाले शोभित कुमार ने बैंक की सुरक्षा पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि चोरी की जानकारी भी देर से दी गई।
-पंकज श्रीवास्तव का लॉकर नंबर 24, एके जायसवाल का लॉकर 66 था, इनके चेहरे पर थोड़ी राहत थी, लेकिन बैंक के प्रति इनकी नाराजगी खूब थी। उन्होंने अपने लॉकर यहां नहीं रखने की बात कही। कई ने सुरक्षा का हवाला देते हुए बताया कि अब कोई अपना लॉकर यहां नहीं रखना चाहते। सोमवार को ही लोगों ने प्रार्थना पत्र देकर लॉकर बंद करने के लिए आग्रह किया है।
बैंक ने त्वरित कार्रवाई पर पुलिस का जताया आभार
इण्डियन ओवरसीज़ बैंक ने चिनहट शाखा में हुई दुर्भाग्यपूर्ण चोरी की घटना पर खेद व्यक्त करते हुए 24 घंटे के भीतर संदिग्धों को पकड़ने में, त्वरित और कुशल कार्रवाई के लिए सोमवार को पुलिस के प्रति आभार प्रकट किया है। बैंक का कहना है कि वह जांच प्रक्रिया में सहयोग करना जारी रखेगा और हर संभव तरीके से अधिकारियों की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। बैंक प्रभावित ग्राहकों की चिंताओं को दूर करने और आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए सक्रिय रूप से उनसे जुड़े है। बैंक ने लोगों को आश्वस्त किया की, कि उनके पास ऐसी घटनाओं के लिए बीमा कवरेज है ग्राहकों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा उनकी सर्वाेच्च प्राथमिकता है।
...तो बैंक का लॉकर पर नहीं है रहा सुरक्षित
चिनहट स्थित इण्डियन ओवरसीज़ बैंक में 42 लॉकर काटकर करोड़ों के जेवर, नगदी और अन्य सामान चोरी होने के बाद लॉकर होल्डर काफी चिंता में है। आलमबाग क्षेत्र की रहने वाली अंजना मिश्रा ने पंजाब नेश्नल बैंक की खाता धारक हैं। उन्होंने बताया कि घर में चोरी न हो इसके लिए हमने बैंक का लॉकर ले रखा है। लेकिन बैंक का लॉकर भी सुरक्षित नहीं रहा तो आखिर पैसा देकर बैंक का लॉकर रखने का क्या औचित है। यह सवाल लगभग सारे लॉकर धारकों का है।
वार्षिक किराए का 100 गुना रिफंड करने की है पॉलिसी
भारतीय रिजर्व बैंक ने लॉकर को लेकर एक गाइडलाइन जारी कर रखी है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि लॉकर चोरी/ टूटने / दुर्घटना या आपराधिक कृत्य आदि होने की स्थिति में बैंक आपके लॉकर के वार्षिक किराए का केवल 100 गुना ही दे सकता है। उदाहरण के लिए एसबीआई के एक लॉकर का वार्षिक किराया 2360 रुपये है तो लॉकर धारक को कूल 236000 रुपये बैंक की ओर से दिया जाएगा। भले की उस लॉकर पर 1 करोड का सामान रखा हो या फिर एक रुपये का। उन्होंने बताया कि लॉकर के अंदर बैंक ग्राहक ने जेवर या कागजात आदि क्या रखा है बैंक का इससे कोई लेना देना नहीं होता है। यह ग्राहक का अपना व्यक्तिगत मामला है। सभी सरकारी बैंकों में लगभग यही नियम लागू है।
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