
उत्तर रेलवे ने स्क्रैप बिक्री में बनाया नया रिकॉर्ड, यह भारतीय रेल की पीएसयू में सर्वाधिक
दया शंकर चौधरी
* वित्त वर्ष 2024-2025 में स्क्रैप की बिक्री से 781.07 करोड़ रुपए अर्जित किए
* यह भारतीय रेल की सभी क्षेत्रीय रेलों/पीएसयू में सर्वाधिक
नई दिल्ली। उत्तर रेलवे ने वित्त वर्ष 2024-25 में 781.07 करोड़ रुपये मूल्य के स्क्रैप का निपटान करके भारतीय रेलवे के सभी जोनल रेलवे और उत्पादन इकाइयों के बीच स्क्रैप बिक्री में नंबर 1 पर रहा। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 की ई-नीलामी समाप्त होने के साथ, उत्तर रेलवे ने मार्च 2025 तक कुल ₹781.07 करोड़ की बिक्री दर्ज की, जो अब तक की सबसे अधिक बिक्री है।
इसके साथ ही, उत्तर रेलवे ने स्क्रैप निपटान के क्षेत्र में एक और रिकॉर्ड कायम किया है। उत्तर रेलवे ने रेलवे बोर्ड के वार्षिक बिक्री लक्ष्य ₹530 करोड़ के मुकाबले ₹781.07 करोड़ का राजस्व अर्जित किया, जो लक्ष्य का 147.36% है और उत्तर रेलवे ने भारतीय रेलवे के सभी मण्डल रेलों और उत्पादन इकाइयों (PUs) में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस वर्ष उत्तर रेलवे ही एकमात्र रेलवे है, जिसने ₹700 करोड़ की स्क्रैप बिक्री का आंकड़ा पार किया है।
यह लगातार चौथा वर्ष है जब उत्तर रेलवे ने ₹600 करोड़ से अधिक की कुल बिक्री दर्ज की है और लगातार 4 वर्षों से सभी मण्डल रेलवे एवं उत्पादन इकाइयों (PUs) में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इस प्रक्रिया में, उत्तर रेलवे ने 8 स्थानों से 592 ई-नीलामी के माध्यम से 3244 लॉट बेचे हैं। स्क्रैप निपटान एक महत्वपूर्ण गतिविधि है, यह न केवल राजस्व उत्पन्न करता है, बल्कि कार्यस्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाए रखने में भी सहायक होता है। रेलवे लाइनों के आसपास पड़े स्क्रैप जिसमें रेल टुकड़े, स्लीपर, टाई बार आदि शामिल है इस प्रकार के स्क्रैप संभावित सुरक्षा जोखिम बन सकते है।
उत्तर रेलवे ने परित्यक्त संरचनाओं जैसे कि स्टाफ क्वार्टर, केबिन, शेड, जल टंकी आदि के निपटान को मिशन मोड में लिया है। इससे न केवल राजस्व अर्जित हुआ, बल्कि मूल्यवान स्थान भी उपलब्ध हुआ, जिससे इन संरचनाओं का दुरुपयोग रोका जा सका। इनके त्वरित निपटान को सर्वोच्च स्तर पर प्राथमिकता दी गई है। उत्तर रेलवे में बड़ी मात्रा में जमा PRC/PSC कंक्रीट स्लीपर भी बेचे जा रहे हैं, जिससे रेलवे गतिविधियों के लिए बहुमूल्य क्षेत्र मुक्त हो रहा है और साथ ही राजस्व भी उत्पन्न हो रहा है। इस वित्तीय वर्ष में, उत्तर रेलवे एकमात्र रेलवे बना जिसने विभिन्न सेक्शनों में निष्क्रिय पड़े ERC (Elastic Rail Clip) क्लिप्स को आरडब्ल्यूएफ-बेंगलुरु/आरडब्ल्यूपी-बेला (बिहार) भेजा, जिससे नए पहियों और एक्सल के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में उनका उपयोग किया जा सके।
Details of Revenue generated are as follows
P-Way स्क्रैप: 81,570 मीट्रिक टन स्क्रैप ₹304.76 करोड़ में बेचा गया, जिसमें 37,049 मीट्रिक टन फेरस स्क्रैप (₹128.37 करोड़) और 2,016 मीट्रिक टन नॉन-फेरस स्क्रैप (₹53.13 करोड़) शामिल है। अस्वीकृत रोलिंग स्टॉक: 600 वैगन, 114 कोच और 6 अनुपयोगी लोकोमोटिव सहित कुल ₹33.62 करोड़ मूल्य का रोलिंग स्टॉक स्क्रैप बेचा गया। इसके अलावा, 25 दुर्घटनाग्रस्त वैगन और 6 दुर्घटनाग्रस्त कोच भी त्वरित समय में निपटाए गए। पहिया एवं एक्सल स्क्रैप: 12,706 मीट्रिक टन स्क्रैप ₹30.63 करोड़ में तथा 1,259 मीट्रिक टन ERC (Elastic Rail Clip) स्क्रैप ₹4.18 करोड़ में उत्पादन इकाइयों (Rail Wheel Factory-बेंगलुरु एवं Rail Wheel Plant-बेला, बिहार) को भेजा गया।
PRC/PSC कंक्रीट स्लीपर: 77,453 इकाइयां ₹3.27 करोड़ में बेची गईं। परित्यक्त संरचनाएं: 2,127 इकाइयां ₹9.30 करोड़ में ई-नीलामी के माध्यम से बेची गईं।
यह उपलब्धि उत्तर रेलवे के प्रमुख विभागाध्यक्षों (PHODs), मण्डल रेल प्रबंधकों (DRMs) और अन्य अधिकारियों के निरंतर प्रयासों से संभव हो सकी, जिन्होंने मिशन मोड में स्क्रैप हटाने की दिशा में कार्य किया और "शून्य स्क्रैप" स्थिति प्राप्त करने का लक्ष्य रखा।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).