
आलमबाग बस डिपो में एमएसटी का पैसा गबन
- 2285 रुपये की एमएसटी कार्ड लेने के बाद भी बस में टिकट लेने को मजबूर हुआ यात्री
- यात्री से वसूले 2285 रुपये सरकारी खजाने में जमा हुआ 1850 रुपये
- परेशान होकर यात्री ने आईजीआरएस पर की शिकायत, दोषी कर्मचारियों को बचाने में जुटे अफसर
संतोष कुमार सिंह
लखनऊ। आलमबाग बस डिपो में एमएसटी का पैसा गबन करने का एक प्रकरण प्रकाश में आया है। एमएसटी यात्री के आईजीअरएस पर शिकायत करने के बाद गबन के इस प्रकरण पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। पुख्ता सबूत होने के बावजूद गबन के आरोपियों पर कार्रवाई करने के बजाए जिम्मेदार अधिकारी उसे बचाने में जुटे हैं। तभी तो शिकायत के बाद गबन का पैसा सरकारी खजाने में जमा करा कर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया है। उधर शिकायत कर्ता ने यह आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद गबनकारी अपनी योजनाओं ने इस लिए सफल हो रहे हैं कि जिम्मेदार अधिकारी उनपर कार्रवाई करने के बजाए संरक्षण देने लगते हैं।
दरअसल टेडीपुलिया निवासी बब्लू कुमार ने बीते 5 अप्रैल 2025 को आलमबाग बस डिप्पो से एमएसटी बनवाई। आलमबाग से नवाबगंज के लिए बने इस एमएसटी के लिए पटल बाबू मिथलेश कुमारी ने बब्लू कुमार से 2285 रुपये लिए। लेकिन उसने इसकी कोई रसीद नहीं दी और एमएसटी जारी कर दी। एमएसटी लेकर बब्लू कुमार नवाबगंज जाने के लिए बस पकड़े। परिचालक द्वारा टिकट का पैसा मांगने पर उसने एमएसटी कार्ड उसे दिखाया। परिचालक ने कार्ड को मशीन पर स्वैप किया और बब्लू को बताया कि आपकी एमएसटी कार्ड में पैसा नहीं है। आप टिकट लेकर यात्रा करें। बब्लू को मजबूरन आगे की यात्रा के लिए उस दिन का टिकट लेना पड़ा। नवाबगंज से लौटकर बब्लू आलमबाग पहुंचा। वहां मौजूद एमएसटी इंचार्ज सुनीता अवस्थी को इस बात की जानकारी दी।
आश्चर्य करने वाली बात यह है कि सुनीता अवस्थी ने एक सादे पन्ने पर केन्द्र प्रभारी उत्तर प्रदेश परिवहन निगम आलमबाग डिपो की मुहर लगाते हुए लिख कर दिया कि ‘‘यात्री का पूरा पैसा जमा एमएसटी बनी है। बस से उतारें नहीं यात्रा करायें टोटल एमएसटी 2285, सादे पन्ने पर अपना हस्ताक्षर कर 5 अप्रैल 2025 की तिथि लिख दी गई। एमएसटी कार्ड धारण यात्री बब्बू अगले दिन फिर अपने सफर पर निकला। परिचालक द्वारा टिकट का पैसा मांगने पर उसने केन्द्र प्रभारी की मुहर लगी वह पर्चा उसे दिया। लेकिन परिचालक ने उससे कहा कि आप कम्प्यूटर से निकली रसीद दिखाएं। यह तो हांथ से लिखा है। मैं उसको नहीं मानता। अब बब्लू यह समझ चुका था कि उसके फ्रॉड हो गया है। अगले दिन बब्लू फिर से आलमबाग बस डिपो पहुंचा। उसे दिन पटल पर कोई दूसरा स्टॉफ बैठा था। बब्लू द्वारा छानबीन किए जाने पर पता चला कि एमएसटी रजिस्टर में अंकित जमा धनराशि और सरकारी जमा रसीद में तो 1850 लिखा हुआ है। जबकि उससे 2285 रुपये लिये गए थे। यानि बब्लू का एमएसटी जारी करने के दौरान मिथलेश कुमारी ने 435 रुपये का सरकारी गबन कर लिया है। और तो और एमएसटी इंचार्ज सुनीता अवस्थी ने एक सादे पन्ने पर केन्द्र प्रभारी की मुहर लगाते हुए यात्री को यात्रा से वंचित न किये जाने को जो एमएसटी लाइसेंस जारी कर दिया गया। सादे पन्ने पर यात्री को बस से न उतारने की बात लिखकर प्रभारी ने पुरे एमएसटी सिस्टम की वॉट लगा दी है। सरकारी पैसा का गबन और दोखाधड़ी की शिकायत बब्लू ने आईजीआरएस पर की है। परिवहन विभाग से जुड़े विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि शिकायत के बाद गबन का पैसा सरकारी खजाने में जमा करा कर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास किया जा रहा है।
पहले भी हो चुका है 54 लाख का एमएसटी घोटला
यूपी रोडवेज के अधिकारियों और कर्मचारियों पर एमएसटी (मंथली सीजनल टिकट) के पैसों को गबन करने का आरोप पहले भी लग चुका है। अयोध्या क्षेत्र में बसों की एमएसटी से जो पैसा आता था, उसका रोजाना हिसाब नहीं रखा जाता था। वर्ष 2018 में मामले का खुलासा हुआ था। पुरे प्रकरण की जांच सतर्कता अनुभाग को सौंपी गई थी। जांच में पता चला कि ट्राई मैक्स कंपनी के साथ रोडवेज के अधिकारी मिलकर एमएसटी के पैसों को परिवहन निगम के खाते में कम दिखाकर जमा कर रहे थे। जांच में 54 लाख 52 हजार रुपये का घोटाला उजागर हुआ था। सतर्कता विभाग की जांच में आधा दर्जन रोडवेज कर्मचारी व अधिकारी दोषी पाए गए। इस मामले में शासन ने कार्रवाई के लिए परिवहन निगम के तत्कालीन एमडी को पत्र भेजा था। चार एआरएम, एक लेखाकर व वरिष्ठ केन्द्र प्रभारी जांच में दोषी मिले थे। इस सभी अधिकारी और कर्मचारी के खिलाफ अलग-अलग अभियोग में आगे की कार्रवाई की मंजूरी दे दी गई थी।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).