
बौद्धिक दिव्यांगजनों के अधिकारों के लिए राज्य आयुक्त दिव्यांगजन की नई पहल
दया शंकर चौधरी
* प्रमाण पत्र व UDID कार्ड के लिए पूरे प्रदेश में व्यापक अभियान प्रारंभ
* मेडिकल बोर्डों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति का भी सुझाव
लखनऊ। योगी सरकार दिव्यांगजनों के अधिकारों एवं समान अवसरों के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। इसी क्रम में राज्य आयुक्त दिव्यांगजन उत्तर प्रदेश प्रोफेसर हिमांशु शेखर झा द्वारा प्रदेश में विशिष्ट अधिगम एवं बौद्धिक दिव्यांगजनों के चिन्हांकन, मूल्यांकन, दिव्यांगता प्रमाणपत्र एवं यूनिक दिव्यांगजन पहचान पत्र (UDID कार्ड) जारी किए जाने हेतु एक अभूतपूर्व और ठोस अभियान की शुरुआत की गई है।
यह पहल विशेष रूप से उन दिव्यांगजनों के लिए है जो डिस्लेक्सिया, डिस्केलकुलिया, डिसग्राफिया, डिस्प्रेक्सिया जैसे विशिष्ट अधिगम अक्षमताओं से प्रभावित हैं। राज्य आयुक्त ने बताया कि इन लोगों की बौद्धिक क्षमता सामान्य अथवा सामान्य से अधिक होती है और वे समाज में लगातार योगदान देते रहे हैं। परंतु अब तक इन दिव्यांगजनों के अधिकारों की प्राप्ति के लिए कोई विशेष राज्यव्यापी अभियान नहीं चलाया गया था।
प्रो. झा ने बताया कि विशिष्ट अधिगम दिव्यांगता को 2016 में लागू "दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम (RPWD Act)" में विधिवत मान्यता मिली है, परंतु व्यावहारिक स्तर पर अब तक उनके लिए प्रमाणपत्र निर्माण, पहचान, और योजनाओं का लाभ सीमित रहा। इस कमी को दूर करने के लिए अब प्रदेशव्यापी अभियान की शुरुआत की गई है, जिसमें चिन्हांकन से लेकर प्रमाणपत्र वितरण तक की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी।
राज्य आयुक्त द्वारा 3 जून 2025 को महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सेवाएं उत्तर प्रदेश और समस्त जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर दिव्यांगता प्रमाणपत्रों के लंबित मामलों की समीक्षा करने तथा इसकी प्रक्रिया को तेज़ करने का आग्रह किया गया है। पत्र में उन्होंने अधिसूचना 12 मार्च 2024 का हवाला देते हुए यह भी सुझाव दिया है कि जनपदों में दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने हेतु विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए निजी चिकित्सकों को भी प्रमाणपत्र पैनल में शामिल किया जाए तथा मेडिकल कॉलेजों के विशेषज्ञ डॉक्टरों का भी सहयोग लिया जाए। इसके अतिरिक्त उन्होंने मेडिकल बोर्डों के पुनर्गठन, दिव्यांगता के अनुरूप विशेषज्ञों की नियुक्ति और प्रमाणपत्र दिवसों की संख्या बढ़ाने का भी सुझाव दिया है ताकि सभी लंबित मामलों का शीघ्र समाधान हो सके।
इस अभियान का असर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में दिखना भी शुरू हो गया है। दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग और बेसिक शिक्षा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित होने वाले ब्लॉक स्तरीय शिविरों में अब विशेषज्ञ डॉक्टरों की सक्रिय सहभागिता देखी जा रही है। कई जनपदों ने दिव्यांगता बोर्ड का पुनर्गठन भी शुरू कर दिया है और प्रमाणपत्र जारी करने के कार्य दिवसों की संख्या बढ़ा दी गई है।
राज्य आयुक्त ने कहा कि इस अभियान के माध्यम से प्रमाणपत्र जारी होने के पश्चात विशिष्ट अधिगम दिव्यांगजनों को शिक्षा, रोजगार, और समान अवसर की दिशा में ठोस समर्थन मिलेगा। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के उद्देश्यों की प्राप्ति में यह अभियान एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा।
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