आल इन्डिया जमीयतुर राईन ने विक्रेताओं के ठेलों पर नाम का बोर्ड लगाने का किया विरोध
दया शंकर चौधरी
नाम का बोर्ड लगाने के निर्णय से राईन समाज के व्यापारियों पर व्यापक और गहरा प्रभाव पडे़गा
लखनऊ। आल इन्डिया जमीयतुर राईन एवं उत्तर प्रदेश जमीयतुर राईन के तत्वाधान में रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह लखनऊ में ऐतिहासिक पसमान्दा राईन एकता महासम्मेलन, आयोजित किया गया। आल इन्डिया जमीयतुर राईन के सरपरस्त हाजी इब्राहिम राईन अलीगढ़, सरपरस्त-ए-आला हाजी असलम अहमद राईन लखनऊ, के जेरे सरपरस्ती एव उत्तर प्रदेश जमीयतुर राईन के जेरे एहतिमामं, प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद वसीम राईनी का संचालन तथा आल इन्डिया जमीयतुर राईन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमशाद आलम राईन की अध्यक्षता में राईन समाज के उत्थान के लिए ऐतिहासिक पसमान्दा राईन एकता महासम्मेलन का उद्देश्य विशेष रूप से जागरूकता, एकजुटता, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक (आधुनिक शिक्षा), विधिक, आर्थिक, व्यवसायिक वैवाहिक परिचय आदि है।
पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने इस मौके पर कहा कि हाल ही में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा एक आदेश जारी किया गया, जिसके तहत सभी फल और सब्जी विक्रेताओं को अपने ठेलों और दुकानों पर नाम का बोर्ड लगाना अनिवार्य कर दिया गया। इस निर्णय का राईन समाज के व्यापारियों पर व्यापक और गहरा प्रभाव पड़ा है।
मंसूरी ने कहा कि इससे सामाजिक पहचान और भेदभाव का खतरा है। राईन समाज के लोग पारंपरिक रूप से सब्जी और फल विक्रेताओं के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। नाम का बोर्ड लगाने के आदेश से उनकी जातिगत पहचान उजागर होती है, जिससे सामाजिक भेदभाव का खतरा बढ़ जाता है। समाज के एक तबके को इस पहचान के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जो उनके आत्म-सम्मान और सामाजिक स्थिति पर नकारात्मक असर डालता है।
अनीस मंसूरी ने कहा कि नाम का बोर्ड लगाने से कुछ ग्राहकों के बीच संकोच बढ़ता है, जिससे व्यापार प्रभावित होता है। कई ग्राहक जातिगत पहचान को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, जिससे राईन समाज के व्यापारियों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। राईन समाज के लोगों के लिए यह व्यवसाय उनकी आजीविका का एकमात्र स्रोत है। नाम का बोर्ड लगाने के कारण व्यापार में गिरावट आने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी असर पड़ा है। इस आदेश से उनकी आर्थिक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता को खतरा है। राईन समाज के व्यापारियों में प्रशासन के प्रति असंतोष और नाराजगी है। वे इसे उनके व्यवसाय के प्रति अनुचित हस्तक्षेप मानते हैं। उनके अनुसार, नाम का बोर्ड लगाने से व्यापारिक माहौल में खुलापन कम हुआ है और पारंपरिक तरीकों से व्यवसाय करना मुश्किल हो गया है।
उन्होंने राइन समाज की अन्य समस्याओं का जिक्र करते हुए कहा कि समाज के विक्रेताओं के लिए ठेले लगाने की जगहों पर मूलभूत सुविधाएँ नहीं हैं, जैसे पानी, शौचालय, बिजली आदि। इन सुविधाओं के अभाव में उनके व्यापार संचालन में दिक्कतें आती हैं, जिससे उनका काम प्रभावित होता है। कई बार इन विक्रेताओं को असामाजिक तत्वों या नगर निगम अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता है। उनके ठेलों को जबरदस्ती हटाने या जुर्माना लगाने जैसी समस्याएँ आम हैं, जिससे वे हमेशा अपने व्यवसाय की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं की पहुंच: सरकार द्वारा व्यापारियों के कल्याण के लिए कई योजनाएँ चलायी जाती हैं, परंतु राईन समाज के लोगों को इनका लाभ प्राप्त करने में कठिनाई होती है। शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाओं में भी उन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
राईन समाज की माँगें
* नाम के बोर्ड लगाने के आदेश को वापस लिया जाए, ताकि वे बिना भेदभाव के अपने व्यवसाय को सुचारू रूप से चला सकें।
* व्यवसाय के लिए एक सुरक्षित और उचित जगह प्रदान की जाए जहाँ मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हों।
* उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए विशेष कदम उठाए जाएँ ताकि वे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें।
* व्यावसायिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाए ताकि कोई उन्हें बिना वजह परेशान न कर सके।
रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह लखनऊ में आयोजित ऐतिहासिक पसमान्दा राईन एकता महासम्मेलन में बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखण्ड, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र राजस्थान, सिक्किम, कर्नाटक से अथिति गणों ने शिरकत की। अति विशेष अथिति मोहम्मद असलम राईन पूर्व विधायक, डा० गयासुद्दीन वरिष्ठ सर्जन पटना, डा० कैयूम सर्जन बलरामपुर, विशेष अथिति मध्य प्रदेश से हाजी हमीद इरशाद भोपाल, शोकीन राईन भोपाल, हाजी अजीज राईन विदिशा, विशेष अथिति-बिहार से मो० शकील राईनी पटना, डा० राहत अली राईनी दरभंगा, आफाक आलम राईनी दरभंगा, डा० फरमान अली राईनी पटना, रियाज अहमद राईनी पटना, असगर राईनी सीतामढ़ी, अकबर राईनी सीतामढ़ी, मो० मोजीब राईनी मधुबनी, मो० मेराज मधुबनी, ईद मोहम्मद चांद राइनी मधुबनी, विशेष अथिति-चौधरी असलम परवेज राईन दिल्ली, मोहम्मद हनीफ राईन दिल्ली, अनवार उल हई राईन दिल्ली, चौधरी फरमान राईन अलीगढ़, अब्दुल अजीज राईन राजस्थान, आमीन राईन अशरफी मुम्बई से अपना अमूल्य समय देकर सम्मेलन को कामयाब बनाया।
राईन समाज के लोगों ने इस अवसर पर कहा कि आज राईन इत्तेहाद कान्फ्रेन्स की जरूरत इस लिए पड़ी कि 2% आबादी वाले लोग एकजुट हो कर सरकार में अपनी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चत कर सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और चिकत्सा के क्षेत्र में अपने समाज का उत्थान कर रहे है, जबकि राईन समाज कसीर तादाद में हेते हुए भी आज तक किसी भी सरकार ने इस समाज की ओर ध्यान नहीं दिया है।
आज इस महा सम्मेलन में राईन समाज को एकजुट करने के लिए आह्वान किया गया है ताकि राईन समाज को भारतीय राजनीति में उचित भागीदारी मिल सके। राईन समाज का पुश्तैनी कारोबार सब्जी मण्डी, फल मण्डी, गल्ला मण्डी, मछली मण्डी, काश्तकारी एवं बागवानी आदि से जुड़े हुए है परन्तु मौजूदा परिस्थित में हम से हमारा पुश्तैनी कारोबार भी छीनने की कोशिश की जा रहा है। राईन समाज जो कि मण्डियों से सम्बन्धित कारेबार में व्यस्त रहती है परन्तु सरकार द्वारा मण्डी के व्यापारियों को किसी भी तरह का सहयोग न देना चिन्ता का विषय है। सरकार से हमारी मांग है कि मण्डी के समस्त व्यापारियों का सरकार द्वारा बीमा सुनिश्चित किया जाय। राईन समाज के उत्थान के लिए उच्च शिक्षा एव तकनीकी, मेडिकल में राईन समाज के बच्चों को
4% आरक्षण सुनिश्चित किया जाय। चूंकि मुसलिम समाज में राईन समाज की तादाद सर्वाधिक है, राईन समाज की आबादी के अनुसार ही इनको हिस्सेदारी दी जाय। राईन समाज के ज्यादातर लोग सब्जी, फल का ठेला/खोमचा लगाकर अपना जीवन यापन बहुत कठिनाई से कर पा रहे है, इनके लिये सरकार द्वारा उचित व्यवस्था करते हुए विशेष अनुदान एवं सहयोग की नितान्त आवश्यकता है तथा फल एवं सब्जी मण्डियों में सरकार द्वारा जो दुकाने आवंटित की जाती है, उसमें राईन समाज को वरीयता दिया जाना सुनिश्चित किया जाये। भारत की वर्तमान परिस्थित में जिस तरह से सम्प्रादायिक शक्तियों द्वारा फल व सब्जी बेचने वालों के साथ भेद भाव एवं दुव्योहार की घटना देखने को मिली है, इससे राईन समाज बहुत आहत् है, अतः सरकार द्वारा इनकी सुरक्षा का प्रबन्ध किया जाना अति आवश्यक है।
भारतीय संविधान के अनुसार जिस प्रकार दलितों की सुरक्षा हेतु 1989 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने विशेष कानून बना कर धारा 341 के अन्तर्गत दलितों को विशेष सुरक्षा प्रदान की, उसी प्रकार राईन समाज के लोगों की सुरक्षा हेतु सब्जी / फल बेचने वाले वेन्डर आदि तथा समस्त खुदरा व्यापारियों के लिए विशेष कानून बनाकर उनकी संरक्षा को सुनिश्चित किया जाये। राईन समाज सरकार से मांग करता है कि धारा 341 में संशोधन कर दलित समाज के साथ-साथ राईन समाज को भी जोड़ा जाना अति आवश्यक है। इस अवसर पर आल इन्डिया जमीयतुर राईन के राष्ट्रीय एडवाइजरी चेयर मैन सईद अख्तर राईन उर्फ राजू, उत्तर प्रदेश जमीयतुर राईन के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद वसीम राईनी, प्रदेश महासचिव जीशान असलम, प्रदेश कोषाध्यक्ष मोहम्मद हसीन राईनी, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष मोहम्मद रईस राईनी, प्रदेश उपाध्यक्ष मोहम्मद सिराजुद्दीन राईनी, प्रदेश उपाध्यक्ष डा० अब्दुल कवी राईनी, प्रदेश उपाध्यक्ष हाजी मो० आरिफ पहलवान राईनी, प्रदेश संगठन सचिव अल्ताफ हुसैन राईनी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य-ताज बाबा राईन, हाजी कासिम राईनी, नदीम राईनी तथा आल इन्डिया जमीयतुर राईन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शमशाद आलम राईन, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमरूलजमा राईन, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शम्स रविश राईन, राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद शकील राईन, राष्ट्रीय संगठन सचिव डा० राहत अली राईन, राष्ट्रीय सचिव मो० तौसीफ अली अहसन राईन, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष मोहम्मद मुईन राईन, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सऊद मुख्तार, मो० वसीउद्दीन राईन, अल्ताफ हुसैन राईन, मो० अनीस राईन, नासिर अहमद राईन शिवहर की मौजूदगी में उत्तर प्रदेश जमीयतुर राईन के समस्त मण्डल अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष व उनकी टीम तथा प्रदेश से आये समस्त गणमान्य उपस्थित रहे।
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