पसमांदा मुस्लिम समाज ने वक्फ संशोधन विधेयक-2024 पर जताई गहरी चिंता
दया शंकर चौधरी
लखनऊ। पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री अनीस मंसूरी ने कल संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के लखनऊ आगमन पर अध्यक्ष जगदंबिका पाल को वक्फ (संशोधन) विधेयक-2024 पर अपनी गहरी चिंताओं और सुझावों से संबंधित एक ज्ञापन दिया है।
ज्ञापन में उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्ड की स्थापना का मूल उद्देश्य पसमांदा तबके के लोगों, यतीम बच्चों, विधवाओं, बेसहारा महिलाओं और गरीबों के कल्याण के लिए किया गया था। लेकिन वर्तमान में वक्फ संपत्तियों का उपयोग इन जरूरतमंद वर्गों के हित में नहीं हो रहा है। वक्फ संपत्तियों के मुतवल्ली और प्रबंधक इन संपत्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं, जिससे गरीब और जरूरतमंद वंचित रह जाते हैं।
पसमांदा समाज की मुख्य मांगें
वक्फ संपत्तियों का उपयोग जरूरतमंदों के लिए: ज्ञापन में यह मांग की गई कि वक्फ संपत्तियों का मुख्य उपयोग पसमांदा समाज, यतीम बच्चों, विधवाओं और गरीबों के हितों के लिए सुनिश्चित किया जाए।
कानूनी कार्रवाई का प्रावधान: वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग करने वाले मुतवल्लियों और वक्फ बोर्डों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया जाए।
उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' की सुरक्षा: ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि "उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ" की संपत्ति जैसे प्रावधान से मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों जैसी ऐतिहासिक संपत्तियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा होगा।
द्वंद्व से बचने के लिए जिला कलेक्टरों का हस्तक्षेप रोकना: वक्फ संपत्तियों की स्थिति तय करने का अधिकार जिला कलेक्टरों को देने से हितों का टकराव बढ़ेगा और अतिक्रमणकारियों को लाभ होगा।
पारदर्शिता सुनिश्चित करना: वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए और गैर-मुस्लिमों की भागीदारी के प्रावधान को हटाया जाए, ताकि मुस्लिम समुदाय अपनी धार्मिक और धर्मार्थ संपत्तियों का स्वतंत्र प्रबंधन कर सके।
पसमांदा समुदाय के हित सर्वोपरि: विधेयक में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान किया जाए कि वक्फ संपत्तियों का प्राथमिक उपयोग पसमांदा समुदाय और समाज के गरीब वर्गों के लिए किया जाए।
अनीस मंसूरी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक कल्याण है, लेकिन वर्तमान में यह उद्देश्य पूरी तरह भटक चुका है। उन्होंने समिति से आग्रह किया कि विधेयक में इन सभी चिंताओं को समाहित किया जाए ताकि वक्फ संपत्तियों का सही और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित हो सके।
इस मौके पर मंसूरी ने कहा, "हमारा देश आर्थिक और सामाजिक समानता के सिद्धांतों पर आधारित है। वक्फ संपत्तियां गरीब और जरूरतमंद लोगों के अधिकार हैं, जिन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए।" ज्ञापन के माध्यम से पसमांदा समाज ने वक्फ बोर्डों के मौजूदा कार्यप्रणाली और संपत्तियों के दुरुपयोग पर सख्त आपत्ति जताई और कहा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग केवल उनके असली उद्देश्य के लिए होना चाहिए। जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने ज्ञापन स्वीकारते हुए समाज की चिंताओं और सुझावों को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया।
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