अपनी हार पर कमला हैरिस का आया पहला बयान
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव हारने के बाद डेमोक्रेट उम्मदीवर कमला हैरिस ने अपना पहला बयान दिया है। हॉरवर्ड यूनिवर्सिटी में अपने समर्थकों को संबोधित करते समय हैरिस अपनी हार पर भावुक नजर आईं लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिका की भलाई के लिए वह काम करती रहेंगी। हैरिस ने कहा, 'आप लोगों ने जो विश्वास मुझ पर दिखाया उससे मेरा हृदय आज भरा हुआ है। चुनाव से हम इस नतीजे की उम्मीद नहीं कर रहे थे लेकिन जब मैं यह कहती हूं कि अमेरिकी वादों का प्रकाश और चटख होगा तो इसका मतलब यह है कि हम कभी हार नहीं मानेंगे और हमारी लड़ाई जारी रहेगी।'
समर्थकों, पति, बाइडेन को धन्यवाद कहा
चुनाव अभियान में अपना समर्थन करने के लिए हैरिस ने अपने पति डगलस एमहॉफ, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन एवं उनके परिवार, अपने रनिंग मेट टिम वाल्ज और अपनी टीम को धन्यवाद दिया। हैरिस ने कहा कि उन्होंने फोन पर निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात की और उन्हें जीत की बधाई दी। हैरिस ने कहा कि लोकतंत्र की खासियत है कि वह चुनाव परिणाम को स्वीकार करता है। हैरिस ने कहा कि उन्होंने ट्रंप से कहा है कि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से होगा। हैरिस ने कहा कि अमेरिकी लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों में चुनाव परिणाम को स्वीकार करना शामिल है। यह सिद्धांत तानाशाही अथवा राजशाही से तुलना में लोकतंत्र को खास बनाता है।
इतिहास नहीं बना पाईं कमला हैरिस
हैरिस अमेरिकी राजनीति में शीर्ष मुकाम हासिल करने में असफल रहीं और राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप से हार गईं। डेमोक्रेटिक नेता की ट्रंप के हाथों कड़े मुकाबले वाले चुनाव में हार ने अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने के उनके सपने को भी तोड़ दिया। उनके नामांकन से हालांकि महिलाओं में उत्साह पैदा हुआ कि सार्वजनिक जीवन में उनके लिए यह द्वार बंद नहीं हुआ है। हैरिस (60) के नाम कई अन्य ‘पहली’ उपलब्धियां भी दर्ज हैं। वह सैन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी रह चुकी हैं - इस पद पर चुनी जाने वाली पहली महिला, पहली अफ्रीकी-अमेरिकी और पहली भारतीय मूल की शख्स थीं।
इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला
उपराष्ट्रपति के रूप में, वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। साथ ही, वह इस पद पर पहुंचने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी या भारतीय-अमेरिकी व्यक्ति भी हैं। पांच नवंबर के चुनाव से तीन दिन पहले प्रकाशित एक लेख में हैरिस ने बचपन में की गई अपनी भारत यात्रा को याद किया और अपनी दिवंगत मां श्यामला गोपालन को याद किया, जो एक कैंसर शोधकर्ता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं। हैरिस ने ऑनलाइन दक्षिण एशियाई प्रकाशन ‘द जुगरनॉट’ के लिए लिखे लेख में कहा, “बड़े होने के दौरान, मेरी मां ने मुझे और मेरी बहन को हमारी विरासत का सम्मान करना सिखाया। लगभग हर दूसरे साल हम दिवाली के लिए भारत जाते थे। हम अपने दादा-दादी, चाचाओं और अपनी ‘चिट्टियों’ (चाचियों) के साथ समय बिताते थे।”
बाइडेन के पीछे हटने पर बनीं उम्मीदवार
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि अमेरिकी एक ऐसा राष्ट्रपति चाहते हैं जो सभी अमेरिकी लोगों के लिए काम करे। उन्होंने कहा, “और यही मेरे पूरे करियर की कहानी रही है।” हैरिस को यह बड़ा मौका तब मिला जब राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जुलाई में ट्रंप के साथ राष्ट्रीय स्तर पर टेलीविजन बहस में खराब प्रदर्शन के बाद फिर से चुनाव लड़ने का अपना दावा छोड़ दिया। बाइडन ने चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में हैरिस का समर्थन किया। उन्होंने 2019 में ‘प्राइमरी’ से पहले ही अपने अभियान को धन की कमी के कारण छोड़ दिया था। बाइडन ने 2016 में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना था। वह किसी प्रमुख पार्टी के टिकट पर उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनने वाली तीसरी महिला थीं।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).