
रूस-अमेरिका की नजदीकी के बीच बढ़ा भारत का जलवा
बीजिंग। यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर रूस और अमेरिका के बीच बढ़ी नजदीकी के चलते दुनिया के समीकरण तेजी से बदलने लगे हैं। अमेरिका जहां रूस से दोस्ती बढ़ाकर चीन को अलग-थलग करना चाहता है तो वहीं भारत को भी अपने साथ लेकर चीन पर दबाव को बढ़ाना चाह रहा है। मगर चीन भी अमेरिका से कम नहीं है, वह उसके इस मर्म को समझ गया है। लिहाजा चीन ने भी अब अपना पाला बदलते हुए सबसे बड़ा ऐलान कर दिया है। चीन ने भारत के साथ मजबूत रिश्ते बनाने की इच्छा व्यक्त की है। ऐसे में जाहिर है कि अमेरिका और चीन दोनों पक्षों में भारत को अपने साथ लेकर चलने की होड़ मची है। ऐसी स्थिति में भारत का जलवा और बढ़ने लगा है।
इस बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के साथ संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए नई दिल्ली के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है। चीन की इस मंशा ने दुनिया में तेजी से बदलते वैश्विक समीकरणों की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया है। चीनी विदेश मंत्री ने कहा है कि उनकी इच्छा भारत के साथ मिलकर काम करने की की है। ताकि पिछले कटु अनुभवों को समेटा (दूर) जा सके और इससे आगे का रास्ता बनाया जा सके। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ एवं स्थिर विकास के पथ पर आगे बढ़ाया जा सके। शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वांग यी ने कहा, "इस साल चीन-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ है। ऐसे में चीन भारत के साथ मिलकर पिछले अनुभवों को समेटने, आगे का रास्ता बनाने और चीन-भारत संबंधों को मजबूत और स्थिर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाने के लिए तैयार है।"
1 साल से बदलने लगे हैं भारत-चीन के रिश्ते
वांग यी ने कहा, "पिछले एक साल में चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है। पिछले अक्टूबर में कज़ान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सफल बैठक ने द्विपक्षीय संबंधों के सुधार और विकास के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया। दोनों पक्षों ने हमारे नेताओं की महत्वपूर्ण आम समझ का ईमानदारी से पालन किया है। सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया है और कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए हैं।" भारत और चीन को "एक दूसरे का सबसे बड़ा पड़ोसी" बताते हुए, वांग यी ने कहा-दोनों को ऐसे साझेदार होने चाहिए जो एक दूसरे की सफलता में योगदान दें। ड्रैगन और हाथी का एक सहयोगात्मक कदम दो दोनों पक्षों के लिए एकमात्र सही विकल्प है।"उन्होंने कहा कि चीन और भारत के पास दोनों देशों के विकास और पुनरोद्धार में तेजी लाने का साझा कार्य है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को एक-दूसरे का समर्थन करने के लिए हर कारण मौजूद है।
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