
आजादी के 75 वर्षों बाद आज देश को मिल रहा है, पहला सहकारिता विश्वविद्यालय
दया शंकर चौधरी
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने लोकसभा में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 पर चर्चा का जवाब दिया, चर्चा के बाद सदन ने विधेयक पारित किया
* त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के साथ सहकारिता क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देगा
* सहकारी विश्वविद्यालय से प्रति वर्ष 8 लाख लोग हो सकेंगे प्रशिक्षित
* सहकारी विश्वविद्यालय से पूरे देश को सहकारिता की भावना और आधुनिक शिक्षा से युक्त युवा सहकारी नेतृत्व मिलेगा
* पहले की सरकारों में सहकारी संस्थाओं के साथ टैक्स में होता था अन्याय, मोदी सरकार ने PACS को सम्मान दिया और उन पर लगाये टैक्स कम किये
* जल्द ही सहकारी संस्थाएं भी टैक्सी और बीमा की सर्विस दे सकेंगी
* मोदी जी सहकार से समृद्ध भारत की जो नींव रख रहे हैं, उसमे सहकारी विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा
* मोदी सरकार में "Cooperation among Cooperatives" का सिद्धांत ज़मीन पर उतारा जा रहा है
* एक खास परिवार के नाम पर विश्वविद्यालय न होने के कारण विपक्ष विरोध कर रहा है, उनको यह नहीं पता कि त्रिभुवन दास पटेल जी भी उनके ही नेता थे
* जब हर पंचायत में PACS पहुंच जायेंगे तब संतुलित रूप से देश का कोऑपरेटिव आंदोलन खड़ा होगा
* ‘भारत ब्रांड’ के नाम से देशभर में उपलब्ध हो रहे हैं 100% ऑर्गेनिक उत्पाद
* मोदी सरकार का 10 वर्षों का कालखंड देश के गरीब कल्याण के लिए स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा
नई दिल्ली। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 पर चर्चा का जवाब दिया। चर्चा के बाद सदन ने विधेयक पारित कर दिया।
चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता एक ऐसा विषय है जो देश में हर परिवार को छूता है। हर गाँव में कोई न कोई ऐसी इकाई है जो सहकारिता के माध्यम से कृषि विकास, ग्रामीण विकास और स्वरोजगार के काम में जुटी हुई है और देश के विकास में योगदान करती है। शाह ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों बाद आज देश को पहला सहकारिता विश्वविद्यालय मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, स्वरोजगार और छोटी उद्यमिता का विकास होगा, सामाजिक समावेशिता बढ़ेगी और नवाचार तथा अनुसंधान में कई नए मानक स्थापित करने के अवसर भी मिलेंगे। श्री शाह ने कहा कि इस प्रकार पूरे देश को सहकारिता की भावना से युक्त और आधुनिक शिक्षा से लैस एक नया सहकारिता नेतृत्व मिलेगा।
अमित शाह ने कहा कि इस सहकारी विश्यविद्यालय का नाम त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय रखने का निर्णय लिया गया। त्रिभुवन दास पटेल, सरदार पटेल जैसे महान नेता के सानिध्य में रहकर भारत में सहकारिता की नींव डालने वाले व्यक्तियों में से एक थे। उन्होंने कहा कि आज जिस गुजरात राज्य सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF) को हम सब अमूल के नाम से जानते हैं, वह त्रिभुवन जी के विचार की ही देन है। श्री शाह ने कहा कि 1946 में गुजरात के एक कस्बे में 250 लीटर दूध से शुरू हुई अमूल की यात्रा आज भारत का सबसे बड़ा डेयरी ब्रांड बनकर विश्व के सामने खड़ी है। उन्होंने कहा कि 2003 में अमूल का टर्नओवर 2882 करोड़ रूपए था जो आज 60 हज़ार करोड़ रूपए को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि एक खास परिवार के नाम पर विश्वविद्यालय न होने के कारण विपक्ष विरोध कर रहा है, उनको यह नहीं पता कि त्रिभुवन दास पटेल जी भी उनके ही नेता थे।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2014 नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाने के बाद का 10 वर्षों का कालखंड देश के गरीबों के लिए स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। इन 10 वर्षों में ही देश के गरीबों को घर, शौचालय, पीने का पानी, 5 किलो मुफ्त अनाज, गैस कनेक्शन, 5 लाख तक का मुफ्त इलाज और बिजली पहुंचाने का काम हुआ है। उन्होंने कहा कि इन 10 वर्षों में देश के 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं। श्री शाह ने कहा कि पहले देश के करोड़ों गरीबों का जीवन जिन ज़रूरी चीज़ों को जुटाने में बीत जाता था प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 10 साल में वे सभी चीज़ें प्रदान कर दी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे करोड़ों लोग आगे बढ़ने, उद्यम करने और देश के विकास में योगदान देना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पूंजी नहीं है। शाह ने कहा कि पूंजीरहित व्यक्ति को उद्यमिता के साथ जोड़ने का एकमात्र रास्ता कोऑपरेटिव है। सहकारिता के माध्यम से छोटी पूंजी वाले करोड़ों लोग साथ आकर उद्यम कर रहे हैं, सम्मानपूर्वक जी रहे हैं और स्वरोजगार प्राप्त कर रहे हैं।
अमित शाह ने कहा कि भारत जैसे 130 करोड़ की आबादी वाले देश में जीडीपी के साथ-साथ रोजगार भी देश की अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य का एक बड़ा मानांक है। उन्होंने कहा कि सहकारिता एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो 130 करोड़ लोगों को स्वरोजगार के माध्यम से देश के विकास के साथ भी जोड़ता है और उनके सम्मान की रक्षा भी करता है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों, ग्रामीणों, कोऑपरेटिव नेताओं की दशकों से लंबित मांग को पूरा करते हुए साढ़े तीन साल पहले सहकारिता मंत्रालय का गठन किया। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद सहकारिता के विकास का एक नया अध्याय शुरू हुआ है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज भारत में 8 लाख सहकारी समितियां हैं और 30 करोड़ व्यक्ति इनके सदस्य हैं। एक प्रकार से देश में हर पांचवा व्यक्ति कोऑपरेटिव से जुड़ा है, लेकिन 75 साल से इसके विकास के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया था। श्री शाह ने कहा कि देशभर में सहकारिता असमान रूप से चल रही थी और सहकारिता आंदोलन में विसंगतियां आने लगीं थीं। उमहोने कहा कि इसीलिए मोदी जी ने कोऑपरेटिव मंत्रालय की स्थापना की। स्थापना के बाद से अब तक सहकारिता मंत्रालय ने गत साढ़े तीन साल में बहुत सारा काम किया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता का विकास करने के लिए सभी राज्यों को साथ लेकर सहकारिता डेटाबेस तैयार किया गया है और आज हर राज्य, जिले और गाँव की सहकारी समितियों की जानकारी इस डेटाबेस में उपलब्ध है।
अमित शाह ने कहा कि देश में 2 लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) बनाई जाएंगी और देश में एक भी पंचायत ऐसी नहीं रहेगी जहां पैक्स नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पैक्स के बायलॉज़ बदलने का निर्णय लिया और कश्मीर से कन्याकुमारी और नॉर्थईस्ट से द्वारका तक पूरे देश ने मॉडल बायलॉज़ को स्वीकार किया। इसके माध्यम से 25 से अधिक आर्थिक कार्यकलापों को पैक्स के साथ जोड़ा गया, चुनाव प्रक्रिया को जोड़ा गया और एक कॉमन अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर बनाया गया जो देश की सभी भाषाओं में है। उन्होंने कहा कि देश में 43 हज़ार पैक्स Common Service Centre (CSCs) बन चुकें हैं जहां केन्द्र और राज्य सरकार की 300 से अधिक योजनाओं के लाभ और सुविधाएं उपलब्ध हैं। शाह ने कहा कि आज देश में 36 हज़ार पैक्स पीएम समृद्धि केन्द्र के रूप में काम करे रहे हैं, 4 हज़ार पैक्स जनऔषधि केन्द्र बन चुके हैं और 400 पैक्स पेट्रोल पंप भी चला रहे हैं।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने विश्व की सबसे बड़ी भंडारण योजना शुरू की और अब तक 576 पैक्स गोदाम बनाने का काम शुरू कर चुके हैं। इनमें से 11 का काम समाप्त हो चुका है और अब पैक्स द्वारा खरीदा हुआ धान और गेहूं वहीं स्टोर होता है। उन्होंने कहा कि देश के 67 हज़ार से अधिक पैक्स को कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर और डेटा स्टोरेज से जोड़ा गया है। आज इन 67,930 पैक्स में से 43,658 पैक्स कम्प्यूटर के माध्यम से काम कर रहे हैं। अब शाम को इनका अकाउंट मिला लिया जाता है, ऑनलाइन ऑडिट के साथ ही सारा कारोबार भी ऑनलाइन होता है। उन्होंने कहा कि कम्प्यूटराइज़ेशन से सहकारिता क्षेत्र में एक प्रकार से क्रांति आई है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 2 लाख पैक्स के हर पंचायत में पहुँचने से हमारे देश का कोऑपरेटिल आंदोलन एक बार फिर संतुलित तरीके से खड़ा होगा। उन्होने कहा कि गवर्नमेंट ई मार्केटिंग (GeM) पर खरीद के लिए 550 से अधिक सहकारी समितियां ऑनबोर्ड हो चुकी हैं। श्री शाह ने कहा कि पहले की सरकार के समय प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) के साथ आयकर में बहुत अन्याय होता था। मोदी सरकार ने सहकारी समितियों के आयकर पर अधिभार को 12 से घटाकर 7 प्रतिशत किया, MAT (न्यूनतम वैकल्पिक कर) को 18.5 से कम कर 15 प्रतिशत किया, दो लाख से काम के लेनदेन पर आयकर जुर्माने से छूट दी गई और विनिर्माण करने वाली सहकारी समितियों के लिए दर को 30 से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। उन्होंने कहा कि पैक्स और अन्य के लिए नकद जमा करने की सीमा को 20 हज़ार से बढ़ाकर 2 लाख रूपए कर दिया गया है। साथ ही TDS से छूट की सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दिया।
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्तर की तीन नई सहकारी समितियां बनाने का काम किया है जो बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज का काम करेंगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) के साथ लगभग 8 हज़ार पैक्स जुड़ चुके हैं इनके माध्याम से हमारे किसानों का उत्पाद विदेश में निर्यात हो रहा है। अब तक NCEL के माध्यम् से दुनियाभर के बाज़ारों में 12 लाख टन सामग्री बेचकर इसका मुनाफा सीधा किसानों के खातों में जमा हो रहा है। श्री शाह ने कहा कि इसके साथ भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) के माध्यम से हमारे पारंपरिक और मीठे बीजों का संरक्षण और संग्रहण कर इन्हें संरक्षित किया जा रहा है। राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (NCOL) माध्यम से भारत ब्रांड के रूप में ऑर्गेनिक उत्पादों का प्रमामीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘भारत ब्रांड’ के नाम से देशभर में 100% ऑर्गेनिक उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि छोटा किसान और ग्रामीण ग्रामीण व्यक्ति ऋण लेता है तो उसे ब्याज के साथ चुकता भी है। उन्होंने कहा कि इसीलिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) ने ज़ीरो NPA के साथ 90 हजार करोड़ रुपये का कारोबार किया है। श्री शाह ने कहा कि NCDC ने 44 समुद्री ट्रॉलर्स गुजरात और महाराष्ट्र के मछुआरों के लिए दिए हैं। 48 सहकारी चीनी मीलों को 10 हजार करोड़ रुपए दिए हैं। लगभग 3 हजार किसान उत्पादक संगठन (FPO) और एक हजार 70 मत्स्य किसान उत्पादक संगठन (FFPO) बनाए हैं। उन्होंने कहा कि NCDC ने इस बार 800 करोड़ रुपए का मुनाफा अर्जित किया है। NCDC ने ऋण में बढ़ोतरी और ज़ीरो एनपीए रखने में सफलता हासिल की है और साथ ही मुनाफा भी 100 करोड़ रुपए से 800 करोड़ रुपए किया है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारी क्षेत्र में समस्त धन का प्रवाह सहकारी बैंकों तक कराने के लिए गुजरात के पंचमहाल और बनासकांठा जिलों में ‘सहकारिता में सहकार’ (Cooperation Among Cooperatives) की पहल की। इसके तहत सुनिश्चित किया कि हर सहकारी संस्था और सहकारी समिति के सदस्यों के बैंक अकाउंट कोऑपरेटिव बैंक में हों। श्री शाह ने कहा कि उन्होंने भी अपना अकाउंट कोऑपरेटिव बैंक में खुलवा लिया है। उन्होंने कहा कि ‘सहकारिता में सहकार’ की पहल के कारण गुजरात के बैंकों में हुई डिपॉजिट में लगभग 8 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। इन सब कदमों के कारण लोगों का सहकारी बैंकों में विश्वास बढ़ा है।
अमित शाह ने कहा कि पहले शहरी सहकारी बैंकों (UCB) को 2003 से नए ब्रांच खोलने की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से 10 प्रतिशत तक नई शाखाएं अपने आप खोलने की अनुमति मिल गई है। पहले उन्हें ‘डोरस्टेप बैंकिंग’ यानि लोगों को बैंकिंग सुविधाएं उनके घर तक मुहैया कराने की अनुमति नहीं थी, पर अब शहरी सहकारी बैंक ‘डोरस्टेप बैंकिंग’ की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। श्री शाह ने कहा कि पहले शहरी सहकारी बैंकों को ‘वन टाइम सेटलमेंट’ की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब वे भी राष्ट्रीयकृत और अनुसूचित बैंकों की तरह ‘वन टाइम सेटलमेंट’ कर सकते हैं। पहले RBI में कोऑपरेटिव बैंकों की कोई सुनवाई नहीं होती थी, पर वहाँ अब एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है जो कोऑपरेटिव बैंकों की समस्या की सुनवाई करेगा। उन्होंने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा दिए जाने वाले होम लोन की सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। वाणिज्यिक रियल एस्टेट को भी ऋण देने की अनुमति दे दी गई है। श्री शाह ने कहा कि गैर-अनुसूचित बैंकों को मजबूत बनाने के लिए भी ढेर सारे काम किए गए हैं।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एण्ड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड (NAFCUB) का एक अंब्रेला संगठन बनाया गया है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई कोऑपरेटिव बैंक कमजोर पड़ेगी, अंब्रेला संगठन उसे फाइनांस करेगा और उसे बंद होने से बचाएगा। मोदी जी ने डिपॉजिटरों का बीमा भी एक लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए तक कर दिया है, इससे कोऑपरेटिव बैंकों में विश्वास बढ़ा है।
अमित शाह ने कहा कि पिछले कई वर्षों से बड़े-बड़े कोऑपरेटिव नेता कृषि मंत्री रहे, लेकिन सहकारी चीनी मिलों की आयकर की समस्या समाप्त नहीं हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद 2022 में आयकर मूल्यांकन की समस्या हमेशा के लिए समाप्त कर दी। चीनी मिलों की 4600 करोड़ रुपए की डिमांड को पूरा किया गया और हर साल 8 हजार करोड़ रुपए की नई डिमांड भी जेनरेट नहीं हुई। आजादी के बाद कोऑपरेटिव चीनी मिलों को शायद ही इतना बड़ा फायदा हुआ हो। उन्होंने कहा कि 84 मिलों को 10 हजार करोड़ रुपए का ऋण स्वीकृत किया गया। Ethanol Blending कार्यक्रम में सहकारी चीनी मिलों की प्राथमिकता तय की गई। शीरा (Molasses) आधारित इथेनॉल संयत्र और मल्टी फील्ड संयंत्र के लिए भी फाइनेंस की योजना शुरू की गई। Molasses पर GST दर को 28 प्रतिशत से घटा कर 5 प्रतिशत करने का काम मोदी सरकार ने किया। श्री शाह ने कहा कि Central Registrar of Cooperative Societies (CRCS) कार्यालय, राज्यों में रजिस्ट्रार कार्यालयों और ग्रामीण विकास बैंकों की शाखाओं का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है जिसके लिए भारत सरकार वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि श्वेत क्रांति 2.0 के तहत दूध की खरीद मौजूदा 660 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर 2028-29 में 1000 लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। उन्होंने कहा कि बीते तीन वर्षों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन चुका है। विश्व के कुल दूध उत्पादन का एक चौथाई उत्पादन भारत में होता है। वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर लगभग 24 करोड़ टन हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014-15 में यह आँकड़ा 14.6 करोड़ टन था। पिछले 10 साल में दूध उत्पादन 14.6 करोड़ टन से बढ़कर 24 करोड़ टन तक पहुँच गया है। आज 23 राष्ट्रीय स्तरीय और 240 जिला स्तरीय संघ हैं, साथ ही 28 विपणन डेयरियां बनी और 2.30 लाख गाँव में प्राथमिक दूध उत्पादन समितियाँ भी बन चुकी हैं।
अमित शाह ने कहा कि निजी तौर पर दूध बेचने वाले किसानों को पशु आहार अब सहकारी डेयरियां देंगी। पशुओं का टीकाकरण भी कोऑपरेटिव डेयरियां करेंगी। उनके गोबर इकट्ठा कर कोऑपरेटिव डेयरियां गैस बनाने का काम करेंगी। जब पशु की मृत्यु होगी तो उसका चमड़ा और हड्डी भी कोऑपरेटिव डेयरियों के माध्यम से बाजार में भेजे जाएंगे और बदले में किसान को ऊंचे दाम मिलेंगे। उन्होंने कहा कि इन सारी परियोजनाओं पर 10 हजार करोड़ रुपए के खर्च से काम शुरू हो चुका है। श्री शाह ने कहा कि डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों में 70 प्रतिशत से अधिक महिलायें हैं और डेयरी में आर्थिक फायदा होने से महिला सशक्तिकरण भी होगा।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्षों से दलहन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदने की मांग की जा रही थी पर पहले की सरकारों ने कुछ नहीं किया। लेकिन हमने यह कर दिखाया और भारत सरकार तीन दालों की शत प्रतिशत खरीद MSP पर करेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) और राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) की वेबसाइट पर रजिस्टर करने वालों को यह सुविधा मिलेगी। इसी तरह मक्के के किसानों को भी NAFED और NCCF की वेबसाइट पर रजिस्टर करना होगा, ताकि भारत सरकार उसकी MSP पर शत प्रतिशत खरीद कर सके।
अमित शाह ने कहा कि पहली बार कोऑपरेटिव सेक्टर में सहकारी रैंकिंग फ्रेमवर्क बनाया गया है, जिसके सात प्रमुख पैरामीटर हैं। इसमें पैक्स, डेयरी, मत्स्य पालन, अर्बन कोऑपरेटिव, आवास क्रेडिट और खादी एवं ग्रामोद्योग समितियाँ शामिल होंगी। उन्होंने कहा कि अब जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता के अवार्ड दिए जाएंगे और रैंकिंग के हिसाब से कोऑपरेटिव बैंकों से उन्हें ऋण मिल सकेगा।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी का ‘सहकार से समृद्धि’ सिर्फ एक नारा नहीं है, सहकारिता मंत्रालय ने इसे जमीन पर उतारने के लिए साढ़े तीन साल में दिन-रात एक किए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ ही महीनों में एक बहुत बड़ी कोऑपरेटिव टैक्सी सर्विस शुरू की जाएगी, जिसमें टू वहीलर, टैक्सी, रिक्शा और फोर व्हीलर का रेजिस्ट्रैशन हो सकेगा और मुनाफा सीधा ड्राइवर के पास जाएगा। उन्होंने कहा कि जल्द ही एक कोऑपरेटिव इश्योरेंस कंपनी भी बनने जा रही है जो देश की कोऑपरेटिव व्यवस्था में इश्योरेंस का काम करेगी। श्री शाह ने कहा कि कुछ ही समय में यह निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी इश्योरेंस कंपनी बन जाएगी।
अमित शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव क्षेत्र के विकास और विस्तार को देखते हुए प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत है और त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी इस जरूरत को पूरा करने का काम करेगी। सहकारी यूनिवर्सिटी बनने के बाद इसके डिप्लोमा और डिग्री धारकों को नौकरी मिलेगी। इस यूनिवर्सिटी से हम डोमेस्टिक के साथ ग्लोबल वैल्यू चैन में भी बड़ा योगदान करेंगे। न्यू एज कोऑपरेटिव कल्चर भी इस यूनिवर्सिटी से शुरु होगा। उन्होंने कहा कि देशभर में हजारों की संख्या में सहकारी शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान फैले हुए हैं, मगर इनके कोर्स में कोई मानकीकरण नहीं है। हमने यूनिवर्सिटी बनने से पहले ही कोऑपरेटिव क्षेत्र की जरूरत को ध्यान में रख कर कोर्स डिजाइन का काम शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में डिग्री, डिप्लोमा कोर्स भी होंगे और पीएचडी की डिग्री भी दी जाएगी। साथ ही सहकारिता के क्षेत्र में काम कर सभी मौजूदा कर्मचारियों के लिए अल्पावधि का सर्टिफ़िकेट कोर्स भी होगा।
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से सहकारी सिंद्धांतों और सहकारी गतिविधियों का विस्तार होगा, कोऑपरेटिव क्षेत्र को नई प्रोघोगिकी का फायदा होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। साथ ही अनुसंधान और नवाचार भी बढ़ेंगे और जमीनी स्तर पर कोऑपरेटिव क्षेत्र मजबूत भी होगा। शाह ने कहा कि त्रिभुवन दास जैसे महान व्यक्ति के नाम से जुड़े होने के कारण यह सहकारी यूनिवर्सिटी उच्च कोटि की यूनिवर्सिटी सिद्ध होगी। यह देश में बहुत अच्छे सहकारिता कर्मी देने का काम करेगी।
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र को समर्पित देश का पहला विश्वविद्यालय आजादी के 75 साल बाद बनेगा और पूर्ण रूप से क्रियाशील होने के बाद जब प्रतिवर्ष लगभग 8 लाख लोग डिप्लोमा, डिग्री या सर्टिफिकेट लेकर निकलेंगे तो सहकारी आंदोलन में एक नए रक्त का संचार होगा। शाह ने कहा कि वे 18 वर्ष की आयु से कोऑपरेटिव से जुड़े रहे हैं और इसकी खूबियों और कमियों का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि मोदी जी एक समृद्ध भारत की नींव डाल रहे हैं और यह विधेयक इसमें मजबूत स्ट्रक्चर प्रदान करेगा। शाह ने कहा कि त्रिभुवन दास पटेल जी की सोच थी कि सहकारी क्षेत्र में मुनाफा हर गरीब महिला तक पहुंचे, इसलिए यह यूनिवर्सिटी उनके नाम पर रखने का प्रस्ताव किया गया है।
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