
इजरायल में अब बदल जाएंगे ये कानून
नई दिल्ली। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के संसदीय गठबंधन ने उच्चतम न्यायालय की शक्तियों को सीमित करने वाले एक विवादित विधेयक को आज प्रारंभिक मंजूरी दे दी। इसके साथ ही देश में न्यायिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त हो गया। नेतन्याहू के अतिराष्ट्रवादी और अतिरूढ़िवादी सहयोगियों ने इस विधेयक का प्रस्ताव रखा। इस विधेयक का देशभर में व्यापक विरोध किया गया और विरोधियों ने इसे देश को तानाशाही की ओर ले जाने वाला बताया। संसद में विधेयक के गुण-दोष पर तीन चर्चाओं में से पहली चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया गया।
इस विधेयक से निर्वाचित अधिकारियों द्वारा लिए गए फैसलों की ‘तर्कसंगतता’ की जांच करने की उच्चतम न्यायालय की शक्तियों में कमी आएगी। उच्चतम न्यायालय ने नेतन्याहू के एक सहयोगी की नियुक्ति को रद्द करने के लिए इस साल की शुरुआत में यह नियम लागू किया था। आलोचकों का कहना है कि इस नियम को हटाने से सरकार को मनमाने फैसले लेने, अनुचित नियुक्तियां करने या लोगों को नौकरी से निकालने की अनुमति मिल जाएगी तथा भ्रष्टाचार के दरवाजे भी खुल जाएंगे। इस विधेयक को संसद में 56 के मुकाबले 64 मतों से पारित कर दिया गया।
विधेयक के विरोध में देशव्यापी प्रदर्शन
विधेयक के पारित होने के बाद विपक्षी सांसदों ने ‘शर्मनाक’ के नारे लगाए, जबकि नेतन्याहू के गठबंधन के सहयोगियों ने खड़े होकर इसे मंजूरी मिलने का स्वागत किया। दो और चर्चाओं में पारित होने के बाद यह विधेयक कानून की शक्ल ले लेगा। इस विधेयक का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को देशव्यापी प्रदर्शनों का आह्वान किया है, जिससे इजराइल के मुख्य अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे तक जाने वाला रास्ता अवरुद्ध हो सकता है।
कम हो जाएगी अदालतों की ताकत
ऐसी जानकारी है कि इजराइल की नेतन्याहू सरकार ने जो योजना बनाई है, उससे अदालत की ताकत काफी कम हो जाएगी। इजराइली अदालतें संसद से बने कानूनों की समीक्षा नहीं कर पाएंगी और न ही उन्हें खारिज कर पाएंगी। इसके अलावा, संसद में बहुमत के जरिये अदालत के फैसले को बदला जा सकेगा। ऐसे में नेतन्याहू चाहें तो अदालत के फैसले को संसद के माध्य्म से अपने पक्ष में कर सकते हैं। नये कानून के तहत, उच्चतम न्यायालय समेत सभी अदालतों में सरकार की मंजूरी के बाद ही न्यायाधीशों की नियुक्ति हो सकेगी। इसके तहत, मंत्रियों के लिए अटॉर्नी जनरल की सलाह मानना बाध्यकारी नहीं रह जाएगा।
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