
इसलिए 7 अगस्त को मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस
दया शंकर चौधरी
2021 से पहले सिर्फ खादी से ही तिरंगा बनाने का था नियम। बुनकरों को समर्पित राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 2015 में की गई थी और इस अवसर पर हथकरघा यानि हैंडलूम के क्षेत्र में सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश भर में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को 7 अगस्त को ही मनाएं जाने के पीछे कारण काफी रोचक है।
भारत सरकार ने 7 अगस्त 2015 से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाए जाने शुरूआत की थी
हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पूरे देश में मनाया जाता है। बुनकरों को समर्पित राष्ट्रीय हथकरघा दिवस को मनाए जाने की शुरूआत वर्ष 2015 में की गई थी और इस अवसर पर हथकरघा यानि हैंडलूम के क्षेत्र में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश भर में विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। हालांकि, राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2024 को लेकर किसी मुख्य विषय की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय और मॉय गॉव (MyGov) द्वारा ‘My Textile My Pride’ और ‘Handloom, an Indian Legacy’ कैंपेन के साथ राष्ट्रीय हथकरघा दिवस प्रमोट किया जाता रहा है।
स्वेदशी आंदोलन की शुरूआत 7 अगस्त 1905 में की गई थी
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 7 अगस्त को ही मनाएं जाने के पीछे का कारण काफी रोचक है। पूरे विश्व में सबसे बड़े हथकरघा उद्योग वाले भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इस हथकरघा का विशेष महत्व रहा है। हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देने और विदेशी वस्तुओं (जिनमें विदेशी वस्त्र भी शामिल थे) के बहिष्कार के लिए स्वेदशी आंदोलन की शुरूआत 7 अगस्त 1905 में की गई थी। इसी आंदोलन के चलते हथकरघा तत्कालीन भारत के लगभग हर घर में खादी बनाने की शुरूआत हुई थी। इसी कारण से भारत सरकार ने 7 अगस्त 2015 से राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाए जाने शुरूआत की थी। इस कड़ी में इस बार में इसका 9वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है।
खादी और हथकरघा की बिक्री बढ़ने से रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 28 जुलाई 2024 को मन की बात कार्यक्रम में कहा कि खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि खादी और हथकरघा की बढ़ती बिक्री से रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
अपने मासिक 'मन की बात' रेडियो प्रसारण में, श्री मोदी ने कहा कि बहुत से लोग जो पहले खादी उत्पादों का उपयोग नहीं करते थे, वे अब गर्व के साथ उन्हें पहन रहे हैं। उन्होंने कहा, "खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। क्या आप जानते हैं कि खादी की बिक्री में 400% की वृद्धि हुई है। खादी और हथकरघा की बढ़ती बिक्री बड़ी संख्या में नए रोजगार के अवसर पैदा कर रही है।" उन्होंने कहा कि इस उद्योग से ज्यादातर महिलाएं जुड़ी हैं, इसलिए उन्हें सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है। उन्होंने श्रोताओं से आग्रह किया, "अगर आपने खादी के कपड़े नहीं खरीदे हैं तो उन्हें खरीदना शुरू कर दें।"
प्रधानमंत्री देश की कला और शिल्प कौशल की समृद्ध परंपरा को जीवित रखने वाले कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन देने के दृढ़ समर्थक रहे हैं। इस दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, सरकार ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाना प्रारंभ किया। इस तरह का पहला उत्सव 7 अगस्त 2015 को आयोजित किया गया था। स्वदेशी आंदोलन के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में इस तारीख को चुना गया था।
आपको बताते चलें कि स्वदेशी आंदोलन 7 अगस्त 1905 को शुरू हुआ था और इसने स्वदेशी उद्योगों, विशेष रूप से हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित किया था। इस साल 7 अगस्त को 9वां राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जा रहा है। कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष के ई-पोर्टल को लॉन्च किया। यह कपड़ा और शिल्प का एक भंडार है, जिसे राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएफटी) द्वारा विकसित किया गया है।
कार्यक्रम में 3000 से अधिक हथकरघा और खादी बुनकर, कारीगर और कपड़ा और एमएसएमई क्षेत्रों के हितधारकों ने भाग लिया। यह पूरे भारत में हथकरघा समूहों, निफ्ट परिसरों, बुनकर सेवा केंद्रों, भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान परिसरों, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम, हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद, केवीआईसी संस्थानों और विभिन्न राज्य हथकरघा विभागों को एक साथ लाएगा।
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