सनातन धर्म संसद की तर्ज पर वृंदावन में आयोजित किया गया गौ धर्म संसद
दया शंकर चौधरी
गौभक्तों ने सामूहिक हरिनाम संकीर्तन करके उत्तर प्रदेश में गौ माता को राज्य माता का दर्जा प्रदान करने की प्रार्थना की
वृंदावन/लखनऊ। प्रयागराज में कल (27 जनवरी) महाकुंभ में सनातन धर्म संसद का आयोजन किया गया है, इसी क्रम में श्री धाम वृंदावन के चंद्रोदय मंदिर की सुरभि गौ शाला के प्रांगण में गौ धर्म संसद का आयोजन किया गया। ब्रजवासी गौ भक्तो द्वारा सामूहिक हरिनाम संकीर्तन कर भगवान श्री राधा कृष्ण ठाकुरजी के चरणों में प्रार्थना की गई की उत्तर प्रदेश में गौ माता को ससम्मान राज्य माता का दर्जा प्रदान किया जाए।
इस सम्बंध में गौभक्तों का कहना है कि महाकुम्भ से जुडी कथा के अनुसार समुद्र मंथन के पीछे की वजह थी कि महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण, स्वर्ग में ऐश्वर्य, धन, वैभव जैसी चीजों का विलोपन हो गया। इसी के बाद त्रिदेव की आज्ञानुसार समुद्र मंथन की योजना बनाई गयी। समुद्र मंथन के लिए नारायण ने समुद्र में मंदराचल पर्वत का प्रकटीकरण किया और महादेव की मदद से वासुकि नाग की नेती (रस्सी) बनाई गई। जिससे देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र को मथना प्रारम्भ किया। समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को भगवान शंकर ने पिया था, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया था और उन्हें नीलकंठ भी कहा जाने लगा। समुद्र मंथन से निकले कल्पवृक्ष को इंद्र देव ने लिया था। इसके अलावा समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे। जिनमें कालकूट या हलाहल (विष), ऐरावत (हाथी), "कामधेनु (गाय)" उच्चैःश्रवा (घोड़ा), कौस्तुभ (मणि), कल्पवृक्ष, रम्भा (अप्सरा), महालक्ष्मी, वारुणी (मदिरा), चंद्रमा, शारंग (धनुष), पांचजन्य (शंख), धन्वंतरि (वैद्य), और अमृत।
गौसेवक लालू भाई के अनुसार सनातन धर्म के ऐतिहासिक तथ्यों में गौमाता की अपार महिमा बताई गई है। इस लिए मानव जाति के कल्याण के लिए गौमाता को राज्यमाता का दर्जा दिया जाना चाहिए। गौ धर्म संसद में सुबुधि राय दासजी, शंकर दासजी, प्रीतम दास जी द्वारा कराए गए गौमाधुर्य नाम संकीर्तन से बड़ी संख्या में उपस्थित गौभक्त और ब्रजवासी गौ पालक सामूहिक हरिनाम संकीर्तन करते हुए झूम उठे । इस अवसर पर गौ सेवक लालू जी ने सभी ब्रजवासी गौ भक्तो को 11 बार राधा नाम जपा कर यह प्रार्थना करवाई कि उत्तर प्रदेश में गौ माता को राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे गोत्र शब्द का संबंध भी गौ माता से ही है, गौ का अर्थ है गाय और त्र का अर्थ है तेरा यानी हमारा वंशज किसी खास गौवंशावली से जुड़ा हुआ है। हर सनातनीयों के गोत्र का उल्लेख ऋषियों के नाम पर होता हैं और ऋषि गौ सेवा और गौ माता की रक्षा अपना परम कर्तव्य समझते थे। अतः गौ रक्षा और गौ सेवा हर सनातनी का सांस्कृतिक कर्तव्य है।
गौ सेवक महेश शर्मा ने गौ की महिमा को विस्तार से व्याख्यायित किया और कहा की नेपाल में भी गौ माता को राष्ट्रीय माता का दर्जा प्राप्त है। हमारे उत्तर प्रदेश में तो अभी गौ पूजक योगी जी की सरकार है। मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ गौ माता के संरक्षण और संवर्धन के लिए सराहनीय कार्य कर भी रहे है। सुरभी गौ शाला के प्रबंधक विवेक कुमार ने आए हुए ब्रजवासी गौ भक्तो का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर बेला मोदी, रासेस्वरी दासी, उमा गुप्ता, ब्रज भूषण गर्ग, अमित बब्बर, टिंकू सिसोदिया, दिगंबर सिंह, पदम त्रिलोकी, हरी ओम शर्मा, नौबत शर्मा, पंकज, रंजीत सोनवीर, सुशील राम, वीर हरवीर नारायण, आदि गणमान्य गौभक्तों ने गौमाता के प्रति अपनी उपस्थिति से श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए यह संकल्प लिया कि कभी चमड़े के किसी उत्पाद का उपयोग इमानदारी से नहीं करेंगे और अपने बच्चों एवं स्वजनों को भी इसके लिए जागरूक करेंगे और गौ माता को राज्य माता का दर्जा प्राप्त हो ऐसा प्रयास करेंगे।
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