
यूपी में बढ़ेंगी बिजली दरें; UPPCL ने 30 प्रतिशत इजाफे का दिया प्रस्ताव
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन (UPPCL) के प्रस्ताव पर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग मुहर लगा देता है, तो प्रदेश में बिजली की दरें 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। पावर कॉरपोरेशन ने बिजली की दरों में 30% बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है हालांकि इसको लेकर विरोध भी शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निमायक आयोग से अपनी आपत्ति दर्ज कराई है पावर कॉरपोरेशन और डिस्काम ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वास्तविक आय-व्यय के आधार पर विद्युत नियामक आयोग में सोमवार को लेखा-जोखा प्रस्तुत किया।
100 प्रतिशत वसूली न हो पाना बन रहा कारण: पावर कॉरपोरेशन के जनसंपर्क अधिकारी अखिलेश सिंह ने बताया कि कॉरपोरेशन की तरफ से विद्युत नियामक आयोग में जो तर्क प्रस्तुत किया गया है, उसके मुताबिक वित्तीय वर्ष 2024-25 में विद्युत कंपनियों के बिजली बिलों के सापेक्ष वसूली 88 प्रतिशत ही हो पाई है इसकी वजह से राज्य सरकार की तरफ से दी गई सब्सिडी के बाद भी यह गैप वर्ष 2023-24 के 4,378 करोड़ रुपए से बढ़कर 13,542 करोड़ हो गया है इसी तरह इस वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी राज्य सरकार से सब्सिडी मिलने के बाद भी यह घाटा बढ़कर 19,600 करोड़ होने की संभावना है।
कॉरपोरेशन के बढ़ते घाटे को कम करने का कोई उपाय नहीं है इतने बड़े कैश गैप की भरपाई के लिए सुधार की जरूरत है इसलिए कॉरपोरेशन ने सुधार प्रक्रिया शुरू कर दी है इससे एक ओर आम उपभोक्ता को बेहतर विद्युत आपूर्ति मिलेगी टैरिफ वृद्धि से भी बचा जा सकेगा। वास्तव में देश के सार्वजनिक क्षेत्र के डिस्कॉम में कुछ अपवादों को छोड़कर जितनी बिजली का बिल उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है, उसके सापेक्ष पूरी वसूली नहीं हो पा रही है विद्युत दरों को तय करने के लिए 100 प्रतिशत कलेक्शन एफिशियंयी मानना अव्यवहारिक है। वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए पावर कॉरपोरेशन ने विगत 10 वर्षों में 70,792 करोड़ रुपए का निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने में और उपभोक्ता सेवा सुधार में खर्च किए हैं इन प्रयासों के बाद भी निवेश के सापेक्ष सफलता नहीं मिल पाई है।
10 फीसदी से ज्यादा फुंक रहे ट्रांसफार्मर: नियामक आयोग को बताया गया है कि करीब 10 प्रतिशत ट्रांसफार्मर खराब चल रहे हैं। विद्युत बिल वसूली अभियान चलाने के बाद भी 54.24 लाख उपभोक्ताओं ने एक बार भी बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है इन सभी उपभोक्ताओं पर 36,353 करोड़ रुपए बकाया है 78.65 लाख लोगों ने पिछले छह महीन से बिजली बिल का भुगतान नहीं किया है इन पर भी 36,117 करोड़ रुपए बिजली का बिल बकाया है इससे कॉरपोरेशन का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है।
इतना रहा कॉरपोरेशन का खर्च: वित्तीय वर्ष 2023-24 में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और डिस्कॉम्स का कुल खर्च 107,209 करोड़ रहा इसमें मुख्य रूप से बिजली खरीद में 77,013 करोड़, परिचालन और अनुरक्षण में 7,927 करोड़, ब्याज के भुगतान में 6,286 करोड़ रुपए और मूल ऋण के भुगतान में 15,983 करोड़ रुपए खर्च हुआ है। राजस्व मात्र 67,955 करोड़ रुपए ही प्राप्त हुआ है इस प्रकार कुल कैश गैप 39,254 करोड़ रुपए रहा इसे पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने 19,494 करोड़ रुपए की धनराशि सब्सिडी के तौर पर दी। 13,850 करोड़ रुपए की धनराशि लॉस फंडिंग/अनुदान के रूप में सरकार ने देकर मदद की इसके बावजूद शेष 5,910 करोड़ रुपए कैश गैप को पावर कॉरपोरेशन और डिस्कॉम्स ने अतिरिक्त ऋण लेकर पूरा किया इसका ब्याज पावर कॉरपोरेशन और राज्य सरकार को ही देना पड़ रहा है।
8 प्रतिशत कम हुआ राजस्व: मार्च 2024 के ऑडिटेड अकाउंट के आधार पर पावर कॉरपोरेशन और डिस्कॉम की संकलित हानियां एक लाख दस हजार करोड़ रुपए को पार कर गईं इसी प्रकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में पावर कॉरपोरेशन और डिस्कॉम्स का कुल खर्चा 1,10,511 करोड़ रुपए रहा। बिजली खरीद का खर्च पिछले वर्ष से 12 प्रतिशत और परिचालन व अनुरक्षण खर्च में 6 प्रतिशत बढ़ गया है इन खर्चों के एवज में सिर्फ 61,996 करोड़ रुपए ही राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पिछले वर्ष से 8 प्रतिशत कम है।
यूपीपीसीएल की स्थिति: वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कैश गैप लगभग 54,530 करोड़ रहने का अनुमान है इस प्रकार पिछले एक वर्ष में कैश गैप में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बैंक लोन में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई है ऊर्जा क्रय पर व्यय, कर्मचारियों पर खर्च, अनुरक्षण में खर्च, ब्याज और ऋण के भुगतान के लिए आवश्यक धनराशि और विद्युत उपभोक्ताओं से बिल की वसूली का अंतर जो वर्ष 2023-24 में 2.92 रूपए प्रति यूनिट था, वो वित्तीय वर्ष 2024-25 में बढ़कर 3.28 रुपए प्रति यूनिट हो गया है। प्रयासों के बावजूद उपभोक्ताओं से पर्याप्त वसूली नहीं हो पा रही है जितनी बिजली आपूर्ति होती है, उसकी प्रत्येक यूनिट पर पावर कॉरपोरेशन को घाटा उठाना पड़ रहा है यही वजह है कि पावर कॉरपोरेशन की वित्तीय स्थिति प्रति वर्ष खराब होती जा रही है।
बढ़ता खर्च चिंता का कारण: जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 23,509 फीडर हैं इसमें 7,921 फीडर शहरी क्षेत्रों में और 15,588 फीडर ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। ग्रामीण क्षेत्र के 8,083 फीडरों में और शहरी क्षेत्रों के 859 फीडरों में टेक्निकल और कमर्शियल लॉस 50 प्रतिशत से भी अधिक हैं यानी अभी भी बड़े पैमाने पर इन जगहों पर बिजली चोरी की जा रही है। विद्युत आपूर्ति की लागत में वृद्धि होने के बावजूद पिछले पांच वर्षों में विद्युत दरों में वृद्धि नहीं हुई है इस अवधि में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन और डिस्कॉम का खर्चा 8.3 प्रतिशत और राजस्व 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
बिजली दरों की बढ़ोतरी प्रस्ताव का विरोध: प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाने के पावर कॉरपोरेशन के प्रस्ताव के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति दर्ज कराई है। परिषद की तरफ से तर्क दिया गया है, कि सभी बिजली कंपनियों ने हजारों करोड़ राजस्व गैप को फर्जी तरीके से बढ़ाया है उदाहरण के तौर पर पहले दक्षिणांचल में 2437 करोड़ रुपए का गैप था अब उसे 3750 करोड़ रुपए कर दिया गया है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है, कि वर्ष 2025-26 के वार्षिक राजस्व आवश्यकता प्रस्ताव को नियामक आयोग की तरफ से स्वीकार किए जाने के बाद पावर कॉरपोरेशन ने बदलाव करने के लिए एक सप्ताह का और समय मांगा था अब सभी बिजली कंपनियों के प्रस्तावित राजस्व गैप लगभग 9200 करोड़ रुपए को कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर वास्तविक वसूली के आधार पर हजारों करोड़ रुपए अधिक फर्जी राजस्व गैप प्रस्तावित किया है इसमें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 15 से 25 प्रतिशत प्रस्तावित बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव है।
बिजली कंपनियां दे रहीं फर्जी डाटा: उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग में परिषद की तरफ से एक लोक महत्व आपत्ति दाखिल करते हुए यह मुद्दा उठाया है, कि प्रदेश की बिजली कंपनियों को कोई भी कानून का ज्ञान नहीं है। कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर गैप का निर्धारण किया जाना पूरी तरह असंवैधानिक है मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के खिलाफ है कोई भी राजस्व जो असेसमेंट के सापेक्ष निर्धारित किया जाता है, उसकी वसूली और बकाया दोनों को मिलाकर पूरा राजस्व निर्धारण माना जाता है। आज तक टैरिफ का निर्धारण शत-प्रतिशत राजस्व निर्धारण के आधार पर किया जाता है प्रदेश की बिजली कंपनियों ने फर्जी गैप दिखाकर नए तरीके से वार्षिक राजस्व आवश्यकता का विद्युत नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल किया गया है अब आगे उसके खिलाफ व्यापक संघर्ष किया जाएगा।
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