संयुक्त परिवार और सफल जीवन का आधार है "विवाह"
दया शंकर चौधरी
सनातन धर्म में विवाह 16 संस्कारों में से एक माना गया है। वेदों के अनुसार शादी के जरिए व्यक्ति अपने सभी कर्तव्यों को पूरा कर सकता है। इसके साथ ही यह पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने में मदद करता है जो सृजन और पोषण के लिए बेहद जरूरी है तो आइए जानते हैं शादी को लेकर वेद क्या कहते हैं?
पवित्र मिलन का प्रतीक है विवाह
सनातन धर्म अपनी मान्यताओं के लिए जाना जाता है। विवाह दो अनजान लोगों के बीच अनंत काल के लिए एक पवित्र मिलन बन जाता है। विवाह को जीवन का मुख्य कर्तव्य माना जाता है।
सनातन धर्म में पूजा-पाठ, वेद, ग्रंथ आदि को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। वेदों में विवाह सहित जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में बताया गया है। वेदों के अनुसार, विवाह किसी भी व्यक्ति के जीवन में संपन्न होने वाले महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है। आइए जानते हैं विवाह के बारे में वेद क्या कहते हैं ? विवाह दो अनजान लोगों के बीच अनंत काल के लिए एक पवित्र मिलन है। इसके जरिए वर-वधू की सांसारिक और आध्यात्मिक विकास की दिव्य यात्रा शुरू होती है। साथ ही वे एक दूसरे का जीवन भर साथ देने का वादा भी करते हैं।
जब तक पूरे ना हों फेरे... सात...
जब दो लोग शादी के लिए एक साथ आते हैं तो उनके साथ-साथ उनके परिवारों के बीच भी जीवन भर के लिए एक पवित्र बंधन विकसित हो जाता है। विवाह में दूल्हा और दुल्हन के साथ उनके परिवार के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से एक विवाह संस्कार भी है।
शादी में क्यों लिए जाते हैं सात फेरे
सनातन धर्म में शादी के दौरान होने वाले सात फेरों का संबंध सात जन्मों के बंधन से होता है। अग्नि को साक्षी मानते हुए विवाह के दौरान वर-वधू सात फेरे फेरे लेते हैं और सात जन्मों तक तन-मन से साथ रहने का वादा करते हैं। इसे विवाह का सबसे मुख्य और अहम भाग माना जाता है। इसके बाद दूल्हा और दुल्हन मन और आत्मा से पति-पत्नी के रिश्ते में बंध जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में संख्या 7 का महत्व
ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टि से 7 संख्या बेहद शुभ और महत्वपूर्ण मानी गई है, जिसका उपयोग कई शुभ कार्यों में किया गया है। जैसे कि सात सुर, इंद्रधनुष के सात रंग, सात तारे, सात महासागर, सप्त ऋषि, सात दिन, सात चक्र, मनुष्य की सात क्रियाएं इत्यादि। इस संख्या की पवित्रता और शुभता को देखते हुए ही विवाह के दौरान सात फेरे और सात वचन लेने की परंपरा है।
इसलिए भी खास है विवाह
जब दो लोग शादी के लिए एक साथ आते हैं, तो उनके साथ-साथ उनके परिवारों के बीच भी जीवन भर के लिए एक पवित्र बंधन विकसित हो जाता है। विवाह में दूल्हा और दुल्हन के साथ उनके परिवार के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हिंदू धर्म में 16 संस्कार में से एक विवाह संस्कार है। विवाह वो पवित्र बंधन है, जो 7 जन्मों के लिए दो अजनबियों को एक अटूट बंधन में बांध देता है।
संयुक्त हिन्दू परिवार
संयुक्त हिन्दू परिवार, जिसमें एक साथ एक ही घर में कई पीढ़ियों के लोग रहते हैं। जिस परिवार मे तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य साथ-साथ निवास करते हैं, जिनकी रसोई, पूजा पाठ एवं संपत्ति सामूहिक होती है उसे ही सयुंक्त परिवार कहते है।
संयुक्त परिवार के लाभ
मनुष्य को अपने विकास के लिए समाज की आवश्यकता होती है, इसी आवश्यकता की पूर्ती के लिए समाज की प्रथम इकाई के रूप में परिवार का उदय हुआ। क्योंकि बिना परिवार के समाज की संरचना के बारे में सोच पाना असंभव होता है। समुचित विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक, मानसिक सुरक्षा के वातावरण का होना नितांत आवश्यक है। परिवार में रहते हुए परिजनों के कार्यों का वितरण आसान हो जाता है। साथ ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण एवं स्वस्थ्य पालन पोषण द्वारा मानव का भविष्य भी सुरक्षित होता है, उसके विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। परिवार में रहते हुए ही भावी पीढ़ी को उचित मार्ग निर्देशन देकर जीवन संग्राम के लिए तैयार किया जा सकता है।
आज भी संयुक्त परिवार को ही सम्पूर्ण परिवार माना जाता है। वर्तमान समय में "एकल परिवार" को एक मजबूरी के रूप में ही देखा जाता है। हमारे देश में आज भी एकल परिवार को मान्यता प्राप्त नहीं है। औद्योगिक विकास के चलते संयुक्त परिवारों का बिखरना जारी है। परन्तु आज भी संयुक्त परिवार का महत्त्व कम नहीं हुआ है। संयुक्त परिवार के महत्त्व पर चर्चा करने से पूर्व एक नजर संयुक्त परिवार के बिखरने के कारणों, एवं उसके अस्तित्व पर मंडराते खतरे पर प्रकाश डालने का प्रयास करते हैं। संयुक्त परिवारों के बिखरने का मुख्य कारण है रोजगार पाने की आकांक्षा। बढती जनसंख्या तथा घटते रोजगार के अवसर के कारण परिवार के सदस्यों को अपनी जीविका चलाने के लिए गाँव से शहर की ओर या छोटे शहर से बड़े शहरों की ओर जाना पड़ता है और इसी कड़ी में विदेश जाने की आवश्यकता भी पड़ती है। परंपरागत कारोबार या खेती बाड़ी की अपनी सीमायें होती हैं, जो परिवार के बढ़ते सदस्यों के लिए सभी आवश्यकतायें जुटा पाने में समर्थ नहीं होता। अतः परिवार को नए आर्थिक स्रोतों की तलाश करनी पड़ती है। जब अपने गाँव या शहर में नयी सम्भावनायें कम होने लगती हैं तो परिवार की नयी पीढ़ी को रोजगार की तलाश में अन्यत्र जाना पड़ता है। अब उन्हें जहाँ रोजगार उपलब्ध होता है वहीं अपना परिवार बसाना उनकी मजबूरी होती है। प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह संभव नहीं होता कि वह नियमित रूप से अपने परिवार के मूल स्थान पर जा पाए। कभी-कभी तो सैंकड़ो किलोमीटर दूर जाकर रोजगार करना पड़ता है। संयुक्त परिवार के टूटने का दूसरा महत्वपूर्ण कारण नित्य बढ़ता उपभोक्तावाद है। जिसने व्यक्ति को अधिक महत्वकांक्षी बना दिया है। अधिक सुविधाएँ पाने की लालसा के कारण पारिवारिक सहनशक्ति समाप्त होती जा रही है और स्वार्थ परता बढती जा रही है। व्यक्ति अपनी खुशियां परिवार या परिजनों में नहीं बल्कि अधिक सुख साधन जुटा कर अपनी खुशियां ढूंढता है और यही संयुक्त परिवार के बिखरने का मूल कारण बन रहा है। परिणाम स्वरूप एकल परिवार में रहते हुए मानव भावनात्मक रूप से विकलांग होता जा रहा है। जिम्मेदारियों का बोझ, और बेपनाह तनाव सहन करना पड़ता है। परन्तु दूसरी तरफ उसके सुविधा संपन्न और आत्म विश्वास बढ़ जाने के कारण उसके भावी विकास का रास्ता भी खुलता है।
अनेक मजबूरियों के चलते हो रहे संयुक्त परिवारों के बिखराव के वर्तमान दौर में भी संयुक्त परिवारों का महत्त्व कम नहीं हुआ है। बल्कि उसका महत्व आज भी बना हुआ है। उसके महत्त्व को एकल परिवार में रह रहे लोग अधिक अच्छे से समझ पाते हैं। उन्हें संयुक्त परिवार के फायदे नजर आते हैं। क्योंकि किसी भी वस्तु का महत्त्व उसके अभाव को झेलने वाले अधिक समझ सकते हैं। अब संयुक्त परिवारों के लाभ पर सिलसिलेवार चर्चा करते हैं।
सुरक्षा और स्वास्थ्य
परिवार के प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी परिजन मिलजुल कर निभाते हैं। अतः किसी भी सदस्य की स्वास्थ्य समस्या, सुरक्षा समस्या, आर्थिक समस्या पूरे परिवार की समस्या होती है। कोई भी अनापेक्षित रूप से आयी परेशानी सहजता से सुलझा ली जाती है। जैसे यदि कोई गंभीर बीमारी से जूझता है तो भी परिवार के सब सदस्य अपने सहयोग से उसको बीमारी से निजात दिलाने में मदद करते है। उसे कोई आर्थिक समस्या या रोजगार की समस्या आड़े नहीं आती। ऐसे ही गाँव में या मोहल्ले में किसी को उनसे पंगा लेने की हिम्मत नहीं होती संगठित होने के कारण पूर्णतयः सुरक्षा मिलती है। व्यक्ति हर प्रकार के तनाव से मुक्त रहता है।
विभिन्न कार्यों का विभाजन
परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण कार्यों का विभाजन आसान हो जाता है।प्रत्येक सदस्य के हिस्से में आने वाले कार्य को वह अधिक क्षमता से कर पाता है और विभिन्न अन्य जिम्मेदारियों से भी मुक्त रहता है। अतः तनाव मुक्त हो कर कार्य करने में अधिक ख़ुशी मिलती है। उसकी कार्य क्षमता अधिक होने से कारोबार अधिक उन्नत होता है। परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है और जीवन उल्लास पूर्ण व्यतीत होता है।
भावी पीढ़ी का समुचित विकास
संयुक्त परिवार में बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और उचित शारीरिक एवं चारित्रिक विकास का अवसर प्राप्त होता है। बच्चे की इच्छाओं और आवश्यकताओं का अधिक ध्यान रखा जा सकता है। उसे अन्य बच्चों के साथ खेलने का मौका मिलता है। माता पिता के साथ साथ अन्य परिजनों, विशेष तौर पर दादा, दादी का प्यार भी मिलता है। जबकि एकाकी परिवार में कभी कभी तो माता-पिता का प्यार भी कम ही मिल पता है यदि दोनों ही कामकाजी हैं। दादा-दादी से प्यार के साथ ज्ञान और जीवन का अनुभव भरपूर मिलता है। उनके साथ खेलने, समय बिताने से मनोरंजन भी होता है उन्हें संस्कारवान बनाना, चरित्रवान बनाना, एवं ह्रस्ट पुष्ट बनाने में अनेक परिजनों का सहयोग प्राप्त होता रहता है। जो एकाकी परिवार में संभव ही नहीं हो पाता।
संयुक्त परिवार में कुल व्यय में लाई जा सकती है कमी
बाजार का नियम है कि यदि कोई वस्तु अधिक मात्रा में खरीदी जाती है तो उसके लिए कम कीमत चुकानी पड़ती है। अर्थात संयुक्त रहने के कारण कोई भी वस्तु अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में खरीदनी होती है। इसलिए बड़ी मात्रा में वस्तुओं को खरीदना सस्ता पड़ता है। दूसरी बात, अलग-अलग रहने से अनेक वस्तुएं अलग अलग खरीदनी पड़ती हैं, जबकि संयुक्त रहने पर कम वस्तु लेकर काम चल जाता है। उदाहरण के तौर पर एक परिवार यदि तीन एकल परिवारों के रूप में रहता है तो उन्हें तीन मकान, तीन कार या तीन स्कूटर, तीन टेलीविजन और तीन फ्रिज, इत्यादि प्रत्येक वस्तु अलग अलग खरीदनी होगी। परन्तु वे यदि एक साथ रहते हैं तो उन्हें कम मात्रा में वस्तुएं खरीद कर धन की बचत की जा सकती है। जैसे तीन स्कूटर के स्थान पर एक कार, एक स्कूटर से काम चल सकता है, तीन फ्रिज के स्थान पर एक बड़ा फ्रिज और एक ए.सी. लिया जा सकता है, इसी प्रकार तीन मकानों के स्थान पर एक पूर्णतया सुसज्जित बड़ा सा बंग्ला लिया जा सकता है। टेलीफोन, बिजली, के बिल के अलग अलग खर्च के स्थान पर बचे धन से कार व ए.सी. मेंटेनेंस का खर्च निकल सकता है। इस प्रकार से उतने ही बजट में अधिक उच्च जीवन शैली के साथ आराम से जीवन यापन किया जा सकता है।
भावनात्मक सहयोग
किसी विपत्ति के समय, परिवार के किसी सदस्य के गंभीर रूप से बीमार होने पर, पूरे परिवार के सहयोग से आसानी से पार पाया जा सकता है। जीवन के सभी कष्ट सब के सहयोग से बिना किसी को विचलित किये दूर हो जाते हैं। कभी भी आर्थिक समस्या या रोजगार चले जाने की समस्या उत्पन्न नहीं होती क्योंकि एक सदस्य की अनुपस्थिति में अन्य परिजन कारोबार को देख लेते हैं।
चरित्र निर्माण में सहयोग
संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के आचार-व्यवहार पर निरंतर निगरानी बनाये रखते हैं, किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता है। अर्थात प्रत्येक सदस्य चरित्रवान बना रहता है। किसी समस्या के समय सभी परिजन उसका साथ देते हैं और सामूहिक दबाव भी पड़ता है। कोई भी सदस्य असामाजिक कार्य नहीं कर पता, बुजुर्गों के भय के कारण शराब जुआ या अन्य कोई नशा जैसी बुराइयों से बचा रहता है और आपको यह भी बताते चलें कि कुछ भी हो हर बड़े और छोटे का पूरा प्यार और दुलार भी मिलता है।
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