कोरिया एवं श्रीलंका के मध्य संबंधों को लेकर परिचर्चा
लखनऊ। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान की ओर से कोरिया एवं श्रीलंका के प्रतिनिधि मंडल का स्वागत, अभिनन्दन समारोह एवं इन देशों के मध्य संबंधों पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं बुद्ध वंदना के साथ किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कोरिया के परम पावन यिमदाम सियू ईयू ह्यून थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के अध्यक्ष हरगोविंद बौद्ध ने किया। परिचर्चा में भारत और कोरिया के संबंधो पर प्रकाश डालते हुए वक्ताओं ने बताया कि चतुर्थ शताब्दी के उत्तरार्ध में बौद्ध मत का प्रवेश कोरिया में हुआ। 11वीं शताब्दी तक कोरिया में बौद्ध धर्म धार्मिक जीवन का आधार बन गया।
इस परिचर्चा में अयोध्या की राजकुमारी तथा दक्षिण कोरिया के राजकुमार के वैवाहिक संबंधो पर भी प्रकाश डाला गया साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान तथा विश्व बौद्ध नेटवर्क, दक्षिण कोरिया के मध्य शिक्षण कार्य एवं अनुसन्धान को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही एमओयू किया जायेगा। कोरिया एवं श्रीलंका के प्रतिनिधि मंडल ने शांति उपवन बौद्ध बिहार, आलमबाग, लखनऊ का भी भ्रमण किया। बौद्ध संस्थान द्वारा कोरिया के परम पावन यिमदाम सियू ईयू ह्यून सहित अतिथियों का अभिनंदन एवं आभार सहित सम्मान किया गया। अंत में संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश सिंह ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
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