
मारियुपोल और कीव में यूक्रेनी सेना का पलटवार
नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच शुरू हुए युद्ध को तकरीबन एक महीना होने वाला है अब तक युद्ध का कोई भी नतीजा नहीं निकल पाया है, रूसी सेना मजबूत स्थिति में जरूर दिखाई दे रही है, अभी भी यूक्रेन रशिया का सामना पूरी मजबूती से कर रहा है, वहीं मारियुपोल में भी रूस को यूक्रेनी सेना से मुंहतोड़ जवाब मिल रहा है यूक्रेन ने भी रूस के सैन्य ठिकानों पर बदला हमला करने का बदला ले लिया है। दरअसल यूक्रेनी सेना ने मारियुपोल में शहर के बीचोबीच रूसी ठिकानों पर टैंक से हमले किए। यूक्रेनी सेना की टूकड़ी के इस हमले से कुछ घंटे पहले ही रूसी सेना ने मारियुपोल में स्थित यूक्रेनी सेना के ठिकानों को नष्ट कर दिया था, जिसकी ड्रोन तस्वीरें सामने आई थीं।
मारियुपोल को लेकर रूस ये दावा भी कर रहा है कि उसने शहर पर कब्जा कर लिया है, लेकिन यूक्रेन की आर्मी ने उनपर लगातार हमले कर साबित कर दिया है कि रूस के लिए मारियुपोल अभी दूर है। यूक्रेन की सेना हर मोर्चे पर रूस का मुकाबला करने की कोशिश में लगी हुई, उसके बावजूद यूक्रेन की बर्बादी को रोकने में उन्हें नाकामी हाथ लगी है वहीं सैटेलाइट तस्वीरें जारी कर अमेरिकी मीडिया ने दावा किया है कि रूस ने यूक्रेन को बर्बाद कर दिया है।
दूसरी तरफ यूक्रेन आरोप लगा रहा है कि रूस इस युद्ध के दौरान फॉस्फोरस बम का इस्तेमाल कर रहा है। यूक्रेन की मानवाधिकार संस्था ने भी रूस की ओर से फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल किए जाने का दावा किया है हम इस बात को समझने की कोशिश करते हैं कि फॉस्फोरस बम क्या है और इसके कितने घातक प्रभाव हो सकते हैं और ये मानवों के लिए कितना खतरनाक है?
क्या है फॉस्फोरस बम?
फॉस्फोरस एक प्रकार का रंगहीन केमिकल है ये ऑक्सीजन के संपर्क में आने से तेजी से जलता है। श्वेत फॉस्फोरस मोम जैसा मुलायम रवेदार पदार्थ होता है इसमें लहसुन जैसी गंध होती है। प्रकाश में छोड़ देने पर यह धीरे-धीरे पीला हो जाता है युद्ध के समय विस्फोटकों और धुंए का आवरण के लिए भी फॉस्फोरस का उपयोग होता है। पीला फॉस्फोरस बेहद ही विषैला होता है और और इसका धुंआ भी काफी घातक होता है जलते हुए व्हाइट यानी सफेद फॉस्फोरस का तापमान 800 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है इस बम के धमाके से पैदा हुए इसके लाखों कण हर तरफ सफेद धुएं के एक गुबार की तरह फैलते हैं इसकी चपेट में आने से किसी भी व्यक्ति की तुरंत मौत हो सकती है इसके घातक कण मानव शरीर के अंदर तक घुस जाते हैं।
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