
ब्लैक लिस्टेड कंपनी को यूपी में मिले एम्बुलेंस ठेका का मामला पहुंचेगा न्यायलय
राजस्थान और एमपी में सीबीआई जांच का सामना कर रही जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड को यूपी में मिला करोड़ो का एम्बुलेंस ठेका
संतोष कुमार सिंह / दया शंकर चौधरी
लखनऊ। राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ब्लैक लिस्टेड की गई जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड को यूपी में करोड़ो का ठेका दिये जाने का मामला न्यायलय की चौखट पर जा सकता है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली यूपी सरकार पर सवाल खड़े होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस मामले की जांच करने की बात कही है। स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने दो राज्यों में सीबीआई जांच का सामना कर रही कंपनी को वेंटिलेटर युक्त एएलएस एम्बुलेंस सेवा से सम्बंधित करोड़ो का ठेका दे दिया।
ठेका पाने वाली कम्पनी ने नियम कायदे को दरकिनार करते हुए पुराने पैरामेडिकल स्टाफ और ड्राइवरों को हटा कर नई भर्ती का विज्ञापन निकाला था। विज्ञापन की विज्ञप्ति देख संविदा कर्मियों में रोष व्याप्त है। जीवनदायनी स्वास्थ्य विभाग 108,102 एम्बुलेंस कर्मचारी संघ उ. प्र. के अध्यक्ष हनुमान पाण्डेय ने "विजुअल लाइव" को बताया कि स्वास्थ्य विभाग की इस अनियमितता को लेकर वे न्यायलय का दरवाजा खटखटाएंगे। श्री पाण्डेय ने कहा कि यूनियन के पदाधिकारियों की आपातकालीन बैठक में यह तय किया गया कि इस मामले में कोर्ट में एक याचिका दायर किया जायेगा। यूनियन इसके लिये अधिवक्ता भी नियुक्त कर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव नाथ त्रिपाठी कोर्ट में यूनियन का पक्ष रखेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव नाथ त्रिपाठी ने ‘‘विजुअल लाइव‘‘ को बताया कि यह काफी गम्भीर मामला है। राजस्थान और माध्यप्रदेश की सरकार ने जिस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड कर दिया हो उसे यूपी की योगी सरकार ने करोड़ो का ठेका कैसे दे दिया। इतना ही नहीं जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड इन दो राज्यों में सीबीआई जांच का भी सामना कर रही है। एडवोकेट अभिनव नाथ त्रिपाठी ने कहा कि न्यायलय में जाने की तैयारी लगभग पूरी कर ली गयी है।
क्या है पूरा मालमा?
यूपी में वेंटिलेटर युक्त एएलएस एम्बुलेंस सेवा को 14 अप्रैल 2017 को सीएम योगी आदित्यनाथ ने कार्यभार संभालते ही शुरू किया था। पहले चरण में 150 जीवन रक्षक वाहनों को हरी झंडी दिखाई गई। इसके बाद 100 एम्बुलेंस का बेड़ा और बढ़ाया गया। अभी तक सेवा का संचालन जीवीकेईएमआरआई कंपनी कर रही थी।
बावजूद इसके 21 जनवरी 2021 को एएलएस सेवा के संचालन के लिए टेंडर निकाला गया। जिसमें वर्तमान में संचालन करने वाली कंपनी जीवीकेईएमआरआई ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके अलावा केएचजी हेल्थ केयर, जीबीवीजी, जिगित्सा हेल्थ केयर, जय अंबे कंपनी ने टेंडर में हिस्सा लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान कुछ लोगों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक व शासन के अन्य अफसरों के पत्र लिखकर जिगित्सा हेल्थ केयर की शिकायत की है। जिसमे राजस्थान, मध्य प्रदेश में एम्बुलेंस संचालन में गड़बड़ियों का हवाला दिया गया है।
जबकि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली यूपी सरकार के अफसरों ने मध्य प्रदेश व राजस्थान में सीबीआई जांच का सामना कर रही दागी जिगित्सा कंपनी को एम्बुलेंस संचालन के लिए चयन कर लिया। कंपनी ने भी बिना वक्त गवाएं 7 जून को एम्बुलेंस संचालन के लिये आवश्यक स्टाफ की भर्ती का विज्ञापन जारी कर दिया। अब अखबार में विज्ञापन जारी होते ही पुराने संविदा कर्मियों में बेचैनी है और वे न्यायालय की शरण में जाने की रणनीति बना रहे हैं।
फर्जी बिल व रनिंग दिखाकर एमपी सरकार को लगाया करोड़ो का चूना
यूपी में करोड़ो का ठेका पाने वाली जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड मध्य प्रदेश में फर्जी बिल व रनिंग दिखाकर सरकार को चूना लगा चुकी है। मामला हाइलाइट होने के बाद मप्र हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर राज्य सरकार सहित अन्य से जवाब-तलब किया है। मप्र हाईकोर्ट ने राज्य सरकार सहित अन्य से पूछा कि दूसरे राज्य में ब्लैकलिस्टेड कंपनी को 108 संजीवनी व 104 जननी एक्सप्रेस एम्बुलेंस ठेका कैसे दे दिया गया? कंपनी की ओर से काम के दौरान अनियमितताएं कैसे की जा रही हैं। याचिका दायर कर कहा गया है कि एंबुलेंस संचालन में जमकर लापरवाही बरती जा रही है। यहां तक कि कई मरीजों की जान तक चली गई। कई जिलों से इस तरह की शिकायतें सामने आई हैं। कंपनी के पास स्टाफ का अभाव है। ऑक्सीजन सिलेंडर सहित उपकरणों की कमी के कारण कई बार स्थिति गंभीर हो जाती है।
यह कंपनी राजस्थान में भी ब्लैकलिस्टेड की जा चुकी है। उसके खिलाफ सीबीआई जांच तक जारी है। पूर्व में डायरेक्टर एनआरएचएम ने इस कंपनी के कामकाज में अनियमितता पा कर अनुबंध रद्द करने की अनुशंसा की थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता का कंपनी से विवाद हाईकोर्ट में लंबित है। इसीलिए उसकी जनहित याचिका को अलग कर अब कोर्ट खुद इस मामले में अपने स्तर पर सुनवाई करेगा। इस निर्देश के साथ कोर्ट ने राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी किए हैं।
कम्पनी के निदेशकों और सरकारी अफसरों पर राजस्थान में दर्ज है मुकदमा
राजस्थान में 108 एम्बुलेंस में घोटाले का मसला उठा था। ऐसे में तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मंजूरी मिलने के बाद इस मामले की फाइल गृह विभाग के पास भेजी गई। इस मामले पर सीबीआई ने जांच शुरू की है। सीबीआई ने जिगित्सा हेल्थकेयर के तत्कालीन निदेशकों और सरकारी अफसरों पर 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही 108 एम्बुलेंस घोटाले में कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज हुई थी। इसमें अशोक गहलोत, सचिन पायलट, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्तिक चिदंबरम सहित कांग्रेस के कई दिग्ग्ज नेताओं और उनके पुत्रों के नाम भी शामिल किए गए थे।
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1 Comments
AMARPAL
10 जून 2021
Rajesthan sa ayae karmchari up mae kar rahae gvkemri mae nokre