
नाका गुरुद्वारा में श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया सरहंद फतहि दिवस
दया शंकर चौधरी
लखनऊ। सरहंद फतहि दिवस ऐतिहासिक गुरूद्वारा गुरु नानक देव जी, गुरु सिंह सभा, नाका हिन्डोला लखनऊ में 12 मई को बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। प्रातः का दीवान 4.30 बजे नितनेम के पाठ से प्रारम्भ हुआ जो 10.30 बजे तक चला जिसमें माता गुजरी सत्संग सभा की सदस्याओं एवं संगत द्वारा सुखमनी साहिब के पाठ के पश्चात हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी शबद कीर्तन के गायन कर समूह साध संगत को निहाल किया, उसके उपरान्त ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने सरहिंद फतहि दिवस पर व्याख्यान करते हुए कहा कि यह पंजाब का सबसे बड़ा शहर है। जिनका पूरे भारत में कोई समानांतर नहीं है सत्रहवीं शताब्दी के समापन के दशकों में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी यहीं थे।
वजीर खान ने आनंदपुर पर हमला करने वाली पहाड़ी सेना को मजबूत करने के लिए कुछ तोपों के टुकड़ों के साथ कुछ सैनिकों को हटा दिया। 1700 को एक मुठभेड़ हुई थोड़े समय के अंतराल के बाद गुरु गोबिंद सिंह जी आनंदपुर लौट आए, लेकिन सरहिंद सैनिकों द्वारा लंबे समय तक घेराबंदी के दबाव में इसे फिर से छोड़ना पड़ा। फौजदार के आदेशों के तहत, नवाब वजीर खान, गुरु गोबिंद सिंह जी के दो छोटे बेटों जोरावर सिंह एवं फतहि सिंह जिनकी उम्र नौ और सात वर्ष थी, को क्रूरता से सरहिंद में एक दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया।
1708 में गुरु गोबिंद सिंह जी के ज्योतिजोत समा जाने के बाद बंदा सिंह बहादुर के झंडे के नीचे उन्होंने सरहिंद पर एक भयंकर हमला किया। मुगल सेना को भगा दिया गया और 12 मई 1710 को लड़ी गई छप्पर चिरी की लड़ाई में वजीर खान मारा गिराया। सिखों द्वारा सरहिंद का कब्जा हो गया और भाई बाज सिंह को गवर्नर नियुक्त किया गया। इस स्थान को फतहिगढ़ साहिब के नाम से जाना जाता है। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के पश्चात ऐतिहासिक गुरूद्वारा गुरु नानक देव जी, गुरु सिंह सभा, नाका हिन्डोला लखनऊ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समूह संगत को सरहंद दिवस की बधाई दी उसके उपरान्त चाय का लंगर श्रद्धालुओं में वितरित किया।
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