
अगर आप भी खाते हैं चमकदार सेब तो हो सकती है मौत!
सेब खाना कई लोगों को पसंद होता है और सेब को सबसे पौष्टिक फलों में से एक माना जाता है इसका कारण है सेब के पोषण। आप सभी को बता दें कि 100 ग्राम सेब में 52 कैलोरी, 0.3 ग्राम प्रोटीन, 13.8 ग्राम कार्ब, 10.4 ग्राम शुगर, 2.4 ग्राम फाइबर, 0.2 ग्राम फैट और 86 प्रतिशत पानी होता है और आज के समय में लोग मार्केट से फ्रेश और चमकदार सेब लेकर आते हैं, ताकि सभी उन्हें खाकर ताकतवर हो जाए लेकिन इन चमकदार सेब को देखकर सिर्फ देखने में यह लगता है कि वह फ्रेश हैं हालाँकि ऐसा होता नहीं है।
हाल ही में हुई एक स्टडी के मुताबिक, ये फ्रेश और चमकदार दिखने वाले सेब गंभीर बीमारी का कारण बन सकते हैं और अगर समय पर लक्षणों की पहचान करके इलाज न किया जाए तो मौत का खतरा भी बढ़ सकता है। फ्रेश और चमकदार सेब को लेकर भारत में हुई स्टडी ने सभी को हैरान कर दिया है। यह स्टडी दिल्ली यूनिवर्सिटी, मैकमास्टर यूनिवर्सिटी और कनाडा के रिसर्चर्स ने मिलकर की है और यह अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी के जर्नल में पब्लिश हुई है। केवल यही नहीं बल्कि इस स्टडी के मुताबिक, स्टोरहाउस में रखे सेब में 13 फीसदी कैंडिडा ऑरिस पाया गया। आपको बता दें कि स्टोरहाउस वह होता है, जहां सेब को स्टोर करके रखा जाता है। फलों को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल के कारण सेब की सतह पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया था और कैंडिडा ऑरिस एक प्रकार का फंगस है जो फंगस की तरह फैलता है। आपको बता दें कि इससे कई जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं। सेब की सतह पर कैंडिडा ऑरिस पाए जाने के लिए रिसर्चर्स ने नॉर्थ इंडिया के 62 सेबों की जांच की और इन सेब में 42 सेब बाजार से लिए गए थे और बाकी 20 सेब सीधे बगीचे से लिए गए थे।
स्टडी का निष्कर्ष
आपको बता दें कि यह रिसर्च सेब की 2 किस्मों रेड डिलीशियस और रॉयल गाला पर की गई थी और स्टडी करने के बाद रिसर्चर्स ने पाया कि 62 सेब में से 8 सेब की सतह पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया था। केवल यही नहीं बल्कि निष्कर्ष में पाया कि जिन 8 सेब पर कैंडिडा ऑरिस पाया गया था, उनमें से 5 सेब रेड डिलीशियस थे और तीन रॉयल गाला थे। इसके अलावा रिसर्च में मिला कि बगीचों से लाए गए सेबों में कैंडिडा ऑरिस होने के कोई सबूत नहीं मिले थे, जबकि मार्केट से लिए गए सेबों में समय के साथ कैंडिडा ऑरिस विकसित हो गया था और इसका कारण है कि कई फल वाले फलों की सेल्फ लाइफ बढ़ाने और लंबे समय तक उपयोग कर पाने के कारण उन पर कैमिकल का छिड़काव करते हैं, जिससे कैंडिडा ऑरिस विकसित हो जाता है।
है मौत का खतरा
रोग नियंत्रण और रोकथाम के अनुसार, कैंडिडा ऑरिस बीमारी फैलाने वाले 5 कवकों की लिस्ट में आता है, जो शरीर में कई तरह की बीमारियों को पैदा कर सकता है। केवल यही नहीं बल्कि Medicalnewstoday के मुताबिक, कैंडिडा ऑरिस संक्रमण के लक्षणों को पहचानना चुनौतीपूर्ण मानते हैं, क्योंकि यह आमतौर पर पहले से ही बीमार लोगों को अपना शिकार बनाता है।
आपको बता दें कि शरीर में कैंडिडा ऑरिस किस हिस्से को प्रभावित कर रहा है, उसके मुताबिक लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। यह घाव, ब्लड फ्लो सहित कई जगहों पर विकसित हो सकता है और इसके सामान्य लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है। इसकी पहचान करने के लिए लैब में टेस्ट कराया जाता है। अगर इसकी पहचान हो जाती है तो तुरंत इसका प्रारंभिक इलाज जरूरी है, नहीं तो यह पूरे शरीर या खून में फैल जाता है और गंभीर बीमारियों लक्षण पैदा कर सकता है। जिससे मौत का खतरा भी हो सकता है।
Leave A Comment
Don’t worry ! Your email address will not be published. Required fields are marked (*).