
डायनासोर के जीवाश्म और अंडे बने बच्चों के आकर्षण का केंद्र
डायनसोर के जीवाश्म और अंडे बने बच्चों के आकर्षण का केंद्र
नई दिल्ली। भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में खान मंत्रालय पवेलियन में लगे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के स्टॉल्स बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। किड्ज़ ज़ोन में लगे जीएसआई स्टॉल में बच्चे करोड़ो साल पुराने धरती में दबे डायनसोर के जीवाश्म (हड्डियों) को कैसे सावाधानी पूर्वक निकाला जाता है, उसे सीख रहे हैं। इसी के साथ डायनसोर के रखे अंडे और हड्डियां बच्चों को रोमांचित कर रहे हैं।
बच्चों को इस स्टॉल के माध्यम से विभिनन्न प्रकार के डायनसोर के जीनव, आकार औऱ उनके समय के बारे में रोचक जानकारी मिल रही है। इस स्टॉल के माध्यम से वैज्ञानिक इन जीवाश्मों का अध्ययन करके कैसे डायनसोरों के बारे में नई जानकारी प्राप्त कर रहे हैं, जिससे हमारी समझ में इन प्राचीन जीवों के बारे में और बढ़ती है, ये भी सीख रहे हैं। यहां डायनसोर के शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के अंडे भी रखे गए हैं। शाकाहारी डायनसोर के अंडे गोलाकार है जबिकि मांसाहारी डायनसोर के अंडे अंडाकार हैं।
आईआईटीएफ प्रगति मैदान के हॉल नंबर 5 में स्टाल नंबर 9 में पहली बार 'कनेक्टिंग बियॉन्ड माइनिंग' के साथ भाग ले रहे खान मंत्रालय के अधीन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) देश का दूसरा सबसे पुराना संगठन है। ये संगठन खान मंत्रालय से भी पहले स्थापित हुआ था। इसकी स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पूर्वी क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता की खोज एवं अध्ययन करने के लिए की थी। खान मंत्रालय की इस पहल का उद्देश्य आम जनता को दैनिक जीवन में खनन की महत्व से अवगत कराना है।
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