कानपुर में गेमिंग एप से साइबर ठगी करने वाले 3 शातिर गिरफ्तार
कानपुर। गेमिंग एप के जरिए लोगों को ठगने वाले 3 साइबर ठग काकादेव पुलिस के हत्थे चढ़ गए। शातिरों के पास से 40,02,040 रुपये नकद बरामद हुआ है। 500, 200 और 100 की गड्डियों में रुपये मिले हैं। इसके साथ ही इनके पास से 10 मोबाइल मिले हैं। पुलिस के अनुसार, गिरोह का मास्टर माइंड इंजीनियर वहीं अन्य दोनों बीए और इंटर किए हैं। विदेश में बैठे आका के निर्देश पर यह लोग ठगी को अंजाम देकर विदेश रुपये भेजते थे। इसके लिए यह लोग एप्लीकेशन फाइल का प्रयोग करते थे।
एडीसीपी दक्षिण महेश कुमार ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि काकादेव पुलिस ने गेमिंग एप से ठगी करने वाले तीन साइबर ठगों को बुधवार गिरफ्तार किया है। पकड़े गए लोगों में जतिन गलानी उर्फ जीतू गोविंद नगर के रतनलाल नगर का रहने वाला है। यह गिरोह का मास्टरमाइंड है। वर्ष 2008 में इसने शहर के एक नामी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक पास किया था। परिवार में पत्नी और चार साल की बेटी है। दूसरा आरोपी चरन सिंह कालोनी गोविंद नगर का सौरव दुलानी है। यह बीए पास है। वहीं तीसरा आरोपी काकादेव के शास्त्री नगर का अनिल खन्ना उर्फ सनी है। यह इंटर पास है। एडीसीपी ने बताया कि जतिन ने कम समय में अधिक पैसा कमाने का लालच देकर पहले सौरव को जोड़ा बाद में सौरव ने अनिल से मुलाकात कराई।
तीनों शातिरों का अलग-अलग काम
एडीसीपी ने बताया कि इन तीनों के अलग-अलग काम बटे थे। अनिल का काम खाता खुलवाना था। वह शहर में ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों ने उसने खाते खुलवाए। इन्हीं खातों में ठगी की रकम जाती थी। सौरव का काम डिवाइस यानी मोबाइल और सिम उपलब्ध करवाना था। ओटीपी और मोबाइल का एक्सेस देने की जिम्मेदारी भी उसी की थी। जबकि जतिन विदेश में बैठे आका डेनियन और एलेक्स से सीधे बात करता था। लूट के हिस्से का बंटवारा भी जतिन करता था।
तीनों के खिलाफ आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। बताया कि गुरुवार को न्यायालय में पेश कराने के बाद उसे जेल भेजा जाएगा। शातिरों की गिरफ्तारी करने वालों में काकादेव इंस्पेक्टर मनोज सिंह भदौरिया, पांडु नगर चौकी इंचार्ज राहुल शुक्ला, सर्विलांस सेल स्वरूप नगर प्रभारी पवन प्रताप, कां आमोद कुमार मिश्रा, कां चयन कुमार जादौन व अन्य शामिल रहे।
ओटीपी के जरिए खातों में पैसों का ट्रांसफर
साइबर फ्रॉड के पैसों का दूसरे व्यक्तियों के बैंक खातों की डिटेल लेने के पश्चात ओटीपी के जरिए खातों में पैसो का ट्रांसफर करवाकर खाताधारकों को लाभ का कुछ हिस्सा देते थे व कुछ लाभ का हिस्सा स्वंय भी प्राप्त कर लेते थे। इनके द्वारा लगातार इस तरह की धोखाधड़ी का काम मोबाइल फोन के द्वारा किया जा रहा था।
पांच करोड़ की लिमिट का कारपोरेट खाता खुलवाकर ठगी
*खाते की लिमिट 1 करोड़ से 5 करोड़ के 20 तक होती थी*
अनिल ने बताया कि वह कारपोरेट खाता खुलवाता था जिसकी लिमिट एक करोड़ से पांच करोड़ के बीच होती है। करंट अकाउंट खुलवाने के लिए एक निश्चित धनराशि भी पहले जमा करनी होती है। अनिल ने कानपुर के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत अन्य जिलों में भी अपने परिचितों के जरिए खाते खुलवाए। खाते लोगों को गुमराह करके अथवा पैसों का लालच देकर खुलवाए जाते थे।
इन्हीं खातों में गेमिंग एप से मिली रकम जमा होती थी। खातों से पूरा पैसा निकालने के बाद डेनियल जतिन को 2.50 प्रतिशत तक हिस्सा देता था। जतिन के मुताबिक यह पैसा उन्हें यूएसडीटी (बिटक्वाइन में चलने वाला डालर) के रूप में मिलता था। जिसे यह लोग बिटक्वाइन ट्रेडिंग एप के जरिए भुना लेते थे। रुपयों के लेनदेन को जिनका खाता लिया जाता है, उन्हें भी मिलने वाली धनराशि का एक प्रतिशत तक हिस्सा दिया जाता है।
हर दिन करोड़ों का ट्रांजेक्शन
ठग जतिन ने बताया कि मोबाइल का एक्सेस देने के लिए डेनियल एपीके फाइल का प्रयोग करते थे। वह एपीके फाइल भेजते थे जिसका लिंक खोलते ही मोबाइल का पूरा एक्सेस उनके पास चला जाता था। इसी एक्सेस के बल पर वह एक दिन में करोड़ों रुपये इधर से उधर करते थे।
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