इंदौर में कांग्रेस को बड़ा झटका
इंदौर। मतदान से पहले मानसिक शह-मात की स्पर्धा में सोमवार को भाजपा ने इंदौर लोकसभा सीट पर कांग्रेस को तगड़ी पटखनी दी, जब इस सीट के कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम ने भाजपा उम्मीदवार शंकर लालवानी के समर्थन में अपना नामांकन वापस ले लिया। सूरत के बाद इंदौर दूसरी सीट है, जहां कांग्रेस को ऐसी अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। इस घटना से पूरे देश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरना तय है। कांग्रेस के लिए यह आघात इसलिए भी अधिक पीड़ादायी है क्योंकि इंदौर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी का गृहनगर है। इंदौर भाजपा का गढ़ माना जाता है यद्यपि कांग्रेस उम्मीदवार की नाम वापसी के बाद इस सीट पर मतदान की औपचारिकता ही शेष है।
नाम वापस लेने के बाद निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से अक्षय बम कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विधायक रमेश मेंदोला के साथ बाहर निकले। सीधे भाजपा कार्यालय पहुंचे और भाजपा का टुपट्टा पहन लिया। कांग्रेस को झटका लगने सिलसिला यहीं नहीं थमा। इंदौर लोकसभा क्षेत्र से डमी प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारे गए कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार मोतीसिंह पटेल का भी नामांकन फार्म निरस्त कर दिया गया।
इंदौर में सोमवार को हुए चौंकाने वाले राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस यहां से उम्मीदवार विहीन हो गई है। भाजपा के लिए चुनाव मैदान लगभग साफ हो गया है। आक्रामक राजनीतिक दलबदल से भाजपा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृह क्षेत्र में ही कांग्रेस को मैदान से बाहर कर दिया है। मालवा-निमाड़ के आर्थिक और राजनीतिक केंद्र इंदौर से कांग्रेस पर इस ‘मनोवैज्ञानिक’ जीत का संदेश भी दे दिया।
शाम तक किया प्रचार, जयश्री राम का नारा लगाया तो कांग्रेस नेताओं ने की थी शिकायत
अक्षय बम ने दल बदल और कांग्रेस का साथ छोड़ने की भनक कांग्रेस के नेतृत्व व स्थानीय नेताओं को भी नहीं लगने दी। रविवार शाम तक को वे जनसंपर्क करते रहे। इंदौर के अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र चंदन नगर व आसपास क्षेत्र में प्रचार के दौरान जयश्री राम के नारे लगाने पर वार्ड के स्थानीय नेताओं ने पार्टी नेताओं को शिकायत की थी कि बम अल्पसंख्यक क्षेत्र में जयश्री राम के नारे लगाकर पार्टी के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं।
17 साल पुराने मामले में बढ़ाई प्राणघातक हमले की धारा
कांग्रेस को चुनावी मैदान से बाहर करने की पटकथा 4 दिन पहले लिखी जा चुकी थी। कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के खिलाफ 2007 में दर्ज हुए प्रकरण में धारा 307 बढ़ाकर अधिरोपित कर दी गई थी। न्यायालय ने इस मामले में 10 मई को आरोपित अक्षय बम को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया था। इसके बाद भाजपा के स्थानीय नेताओं ने यह कहना शुरू कर दिया कि इस प्रकरण के कारण चलते चुनाव में अक्षय बम की गिरफ्तारी भी हो सकती है। उधर नाम वापसी के बाद कुछ कांग्रेसी नेता यह आरोप लगा रहे हैं कि अक्षय बम द्वारा संचालित कालेजों और जमीन से जुड़े कारोबार को लेकर भी सत्ताधारी दल शिकायत और कार्रवाई की बात कर दबाव बना रहा था।
कांग्रेस नेताओं पर लगाया असहयोग का आरोप
इधर अक्षय कांति बम ने कांग्रेस से किनारा करने के पीछे किसी तरह के दबाव या प्रभाव से इनकार कर दिया। नामांकन वापस लेने के बाद उन्होंने कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कांग्रेस के बड़े नेता ही उनसे चुनाव में असहयोग कर रहे थे। पार्टी और नेताओं से सहयोग नहीं मिलने के कारण ही उन्होंने नाम वापस ले लिया।
दो पार्षदों सहित कई भाजपा में हुए शामिल
सोमवार रात दो पार्षद शिवम यादव और विनीता मौर्य सहित कांग्रेस के कई पदाधिकारी भाजपा में शामिल हुए। भाजपा कार्यालय पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने अक्षय बम, राजा मांधवानी, पूर्व शहर महिला कांग्रेस अध्यक्ष साक्षी शुक्ला डागा सहित कांग्रेस के 23 पदाधिकारियों को भाजपा की सदस्यता दिलवाई। इसके पहले मुख्यमंत्री ने इंटरनेट मीडिया पर कहा कि पूरा मप्र मोदीमय हो चुका है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में समझौता किया था।
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